सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित ~ Saraswati Puja Vidhi

सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित - saraswati puja vidhi

लक्ष्मी पूजन :

  • ध्यान :
    ॐ तप्त कांचन संकाशां द्विभुजां लोललोचानां । कटाक्षविशिखोद्दीप्तामञ्जनाण्चित लोचनम् ॥
    ॐ शुक्लाम्बर परीधानाम् सिन्दूर तिलकोज्वलां । शुक्ल पद्मासनगतां ध्याये नारायणप्रियां ॥
  • आवहन :
    ॐ मनो जूतिर्ज्जुषतामाज्ज्यस्य बृहस्पतिर्य्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं य्यज्ञᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवासऽइह मादयन्तामों३ प्रतिष्ठ ॥ ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवति श्रीलक्ष्मि इहागच्छ इह तिष्ठ ।
  • जल : एतानि पाद्यार्घाचम-स्नानीय-पुनराचमनियानि ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीलक्ष्म्यै नमः।
  • चन्दन-पुष्प : इदं सचन्दन-पुष्पं ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीलक्ष्म्यै नमः।
  • अक्षत : इदमक्षतं ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीलक्ष्म्यै नमः।
  • जल : एतानि गन्ध-पुष्प-ताम्बूल-यथाभाग नैवेद्यानि ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीलक्ष्म्यै नमः।
  • जल : आचमनीयं पुनराचमनीयं ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीलक्ष्म्यै नमः।
    पुष्प लेकर प्रणाम करे :
  • ॐ विश्वरूपस्य भार्यासि पद्मे पद्मालये शुभे । सर्वतः पाहि माम् देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ॥
    पुष्प लेकर प्रणाम करे : ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भूर्भुवःस्वः भगवति श्रीलक्ष्मि पूजितासि प्रसीद प्रसन्ना भव क्षमस्व।

गणेश पूजा :

पुष्प दूर्वा लेकर ध्यान करे :
ॐ लंबोदरं महाकायं गजवक्त्रं त्रिलोचनम् । सर्वदेवमयं देवं पार्वतीनन्दनं भजे ॥
ॐ मनो जूतिर्ज्जुषतामाज्ज्यस्य बृहस्पतिर्य्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं य्यज्ञᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवासऽइह मादयन्तामों३ प्रतिष्ठ ॥ ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेश इहागच्छ इह तिष्ठ ।

  • जल : एतानि पाद्यार्घाचम-स्नानीय-पुनराचमनियानि ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेशाय नमः।
  • चन्दन-पुष्प : इदं सचन्दन-पुष्पं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेशाय नमः।
  • दूर्वा : दूर्वान्कुरान् ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेशाय नमः।
  • अक्षत : इदमक्षतं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेशाय नमः।
  • जल : एतानि गन्ध-पुष्प-ताम्बूल-यथाभाग नैवेद्यानि ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेशाय नमः।
  • जल : आचमनीयं पुनराचमनीयं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेशाय नमः।
    पुष्प लेकर प्रणाम करे :
    ॐ एकदन्तं महाकायं लम्बोदरगजाननं । विघ्ननाशकरं देवं हेरम्बं प्रणमाम्यहं ।।
    ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः गं गणेश पूजितोसि-प्रसीद-प्रसनो-भव-क्षमस्व ।।

इसके बाद पुस्तक-पुस्तिका-लेखनी आदि का भी पूजन करें :

  • पुस्तक : ॐ पुस्तकाय नमः । यदि अधिक पुस्तक हो तो : ॐ पुस्तकेभ्यो नमः ।
  • कलम : ॐ लेखन्यै नमः अथवा ॐ समसीक लेखन्यै नमः ।

आरति करे :
थाली सजाकर फूलबत्ती – कपूर आदि जला ले, अक्षत-पुष्प थाली मे दे दे , जल घुमा दे फिर आरति करे :
ॐ कर्पूरवर्ति संयुक्तं वह्निना दीपितं च यत् । नीराजनं च देवेशि गृह्यतां जगदम्बिके ॥
और अन्य मन्त्र भी पढे, आरति गाये … इदं आरार्तिक्यं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः, सर्वाभ्यो देवीभ्यो नमः।

सरस्वती पूजा विधि मंत्र
सरस्वती पूजा मंत्र
  • जल घुमा कर गिरावे : इदं नीराजनं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः, सर्वाभ्यो देवीभ्यो नमः।
  • इदं आचमनीयं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः, सर्वाभ्यो देवीभ्यो नमः।
  • पुष्पांजलि :
    ॐ यथा न देवो भगवान् ब्रह्मा लोकपितामहः। त्वाम् परित्यज्य सन्तिष्ठे – त्तथा त्वम् वरदा भव ॥
    वेदाः सर्वाणि शास्त्राणि नृत्य-गीतादिकं च यत् । न विहीनं त्वया देवि तथा मे सन्तु सिद्धयः ॥
    लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टिः प्रभा धृतिः । एतानि पाहि तनूभिरष्टाभिर्वा सरस्वति ॥ एष मन्त्र पुष्पाञ्जलिं ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः भगवत्यै श्रीसरस्वत्यै नमः । सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः, सर्वाभ्यो देवीभ्यो नमः।

क्षमा प्रार्थना :

ॐ सा मे वसतु जिह्वायां वीणा-पुस्तकधारिणी । मुरारिवल्लभा देवी सर्वशुक्ला सरस्वती ॥
नमो हरिप्रिये नित्यं सरस्वत्यै नमो नमः । वेद-वेदान्त-वेदाङ्ग-विद्यां देहि नमोस्तुते ॥
ॐ विशदकुसुम तुष्टा पुण्डरीकोपविष्टा, धवलवसन वेषा मालती बद्धकेशा ।
शशधरकरवर्णा शुभ्रजा तुङ्गहस्ता, जयति जितसमस्ता भारती वेणुहस्ता ॥
यन्मया भक्तियोगेन पत्रं पुष्पं फलंजलम् । निवेदितं च नैवेद्यं तद्गृहाणानुकम्पया ॥

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि । यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे ॥
यदक्षरपदभ्रष्टं मात्राहीनं च यद् भवेत् । तत्सर्वं क्षम्यतां देवि कस्य वै निश्चलं मनः ॥
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽह‌र्निशं मया । दासोऽयमिति मां मत्वा प्रसीद परमेश्वरि ॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् । पूजाविधि न जानामि क्षमस्व जगदीश्वरि ॥
वागीश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे । गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि ॥
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके। इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरु॥

  • और भी क्षमा प्रार्थना करे ।
  • यथाकाल सविधि हवन करके दक्षिणा करे । हवन मात्र आग जलाकर कुछ वस्तु प्रक्षेप करने का नाम नहीं होता। हवन की विशेष विधि है और विधि पूर्वक करने पर ही हवन कहा जा सकता है अन्यथा नहीं। :- हवन विधि
  • अन्य स्तोत्रादि पाठ करे ।

दक्षिणा : त्रिकुशा-तिल-जल-दक्षिणा लेकर दक्षिणा करे – ॐ अद्य कृतैतत् साङ्गसायुधसपरिवार श्रीसरस्वति पूजनकर्म प्रतिष्ठार्थमेत्तावद् द्रव्यमूल्यकहिरण्यमग्निदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥ ‘ॐ स्वस्ति’ इति प्रतिवचनम् ।

समस्त पूजा-व्रत-जपादि की सिद्धि के लिए सामर्थ्यानुसार उचित दक्षिणा आवश्यक होता है। दक्षिणा तुरंत देने का ही नाम है; अतः पर्याप्त दक्षिणा-द्रव्य हाथ में लेकर ही दक्षिणा करे।  (यदि पेटीएम, मोबाईल मनी, ई-बैंकिंग से देनी हो तो भी तुरंत भेज दे। दक्षिणा मात्र एक दिन बाकि रहने पर ही दुगूनी हो जाती है।

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नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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