ज्ञानवापी सर्वे का निष्कर्ष क्या है

ज्ञानवापी सर्वे का निष्कर्ष क्या है ?

वर्षों से चल रहे ज्ञानवापी प्रकरण का सर्वे रिपोर्ट न्यायालय के आदेश से 25 जनवरी 2024 को सार्वजनिक की जा चुकी है। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद कई महत्वपूर्ण बातें सामने आयी है। सनातनियों का दृढ विश्वास की ज्ञानवापी ही भगवान विश्वनाथ का वास्तविक मंदिर है यह और पुष्ट हो गया है।

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शंकराचार्य पद का महत्व – ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का योगदान; शिखर संबंधी नया विषय प्रकट हुआ

शंकराचार्य पद का महत्व – ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का योगदान; शिखर संबंधी नया विषय प्रकट हुआ

इस आलेख में मंदिरों में शिखर की अनिवार्यता से सम्बंधित एक नये विषय के प्रकट होने की चर्चा कि गयी है, जो देश के लाखों राम और कृष्ण मंदिरों (ठाकुरवारियों) के सन्दर्भ में विचारणीय है।

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शंकराचार्य का कथन १००% सही है – लेकिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी गलत नहीं है

शंकराचार्य का कथन 100% सही है – लेकिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी गलत नहीं है।

कर्मकांड विधि का इस आलेख में मात्र इतना उद्देश्य है कि देशभर के श्रद्धालु रामभक्तों के मन में जो संशय उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है उसका निस्तारण हो सके। प्रलाप करने वालों के लिये समय नष्ट करना भी अनावश्यक है। प्रलाप करने वालों के लिये गोस्वामी तुलसीदास की सर्वोत्तम चौपाई जो उन्हें सचेत करती है वह है : संकर सहस विष्णु अज तोहिं । सकहिं न राखि राम कर द्रोही॥

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मुख्य न्यायाधीश कौन है – कर्मकाण्ड

मुख्य न्यायाधीश कौन है – कर्मकाण्ड

इस आलेख में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से सबंधित विवादों ने जो नया आयाम लिया है कि न्यायालय में इसके लिये याचिका तक चली गयी तो शास्त्र-सम्मत विशेष महत्वपूर्ण विमर्श किया जायेगा। शंकराचार्यों से सम्बन्धित चर्चा करना नहीं चाहता था किन्तु पुनः करने की आवश्यकता है। इस आलेख से कर्मकांड में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं को भी विशेष महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी।

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वारवेला क्या है , काल वेला का अर्थ, अर्द्ध प्रहर विचार

वारवेला क्या है ? काल वेला का अर्थ, – अर्द्ध प्रहर विचार .

अर्द्धप्रहर क्या है, कालवेला क्या है, वारवेला क्या है, कालरात्रि क्या है, अर्द्धप्रहर कैसे ज्ञात करते हैं इत्यादि विषय इस आलेख में समाहित किये गये हैं।

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नामकरण कैसे करें ? नामकरण संस्कार

नामकरण कैसे करें ? नामकरण संस्कार

सूतिका को पंचगव्य प्राशन करा दे।
फिर पूर्व बताई विधि के अनुसार बालक को लेकर सूतिका पूजा स्थान पर आये।
बालक को गोद में ली हुई माता अग्नि की प्रदक्षिणा करके संस्कारकर्ता के बांयी ओर बैठे ।
आचमन करके पूजित देवताओं का स्मरण करके पुष्पांजलि दे।
फिर आचार्य अथवा बालक का पिता स्वर्ण शलाका से अष्टगंधादि द्रव्य का द्वारा पीपल के पांच पत्ते या श्वेत वस्त्र पर बच्चे के लिये निर्धारित पंचनाम लिखे।
फिर पंचनामों को तण्डुलपूर्ण पात्र में रखकर अक्षत-पुष्पादि लेकर उसकी प्रतिष्ठा करे :

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नित्यकर्म विधि – भाग ३, शुचिता

नित्यकर्म विधि – भाग ३, शुचिता

यहाँ शुचिता के महत्त्व एवं विधान के विषय में जानकारी दी गई है। शरीर और आत्मा की शुद्धता बनाए रखने के लिए शौच, दन्तधावन, स्नान जैसे विधियों का पालन करना आवश्यक है। इसमें दिशा, वस्त्र-यज्ञोपवीत एवं स्नान के नियम तथा महत्वपूर्ण विधियाँ सम्मिलित हैं। इससे स्पष्ट होता है कि शुचिता का पालन करना शारीरिक और आत्मिक शुद्धता के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

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दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित

दुर्गा पूजा विधि मंत्र सहित

दुर्गा पूजा विधि – ॐ अद्यैतस्य ब्रह्मणोह्नि द्वितीय परार्द्धे ……… सपरिवारस्योपस्थित शरीराविरोधेन महाभयाभावपूर्वक विपुलधन धान्य सुतान्विताऽतुल विभूति चतुर्वर्ग फलप्राप्तिपूर्वक सर्वाऽरिष्ट निवारणार्थं सकल मनोरथ सिद्ध्यर्थं श्रीदुर्गायाः प्रीत्यर्थं साङ्गसायुधसवाहन सपरिवारायाः भगवत्याः श्रीदुर्गादेव्याः पूजनमहं करिष्ये ।

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दुर्गा पूजा सामग्री

दुर्गा पूजा सामग्री – durga puja samagri

दुर्गा पूजा सामग्री – durga puja samagri : यह सामग्री दुर्गा पूजा की पूजन विधि, सामग्री और महत्वपूर्ण तिथियों के बारे में जानकारी देती है। दुर्गा पूजा की सामग्री विशेष रूप से उल्लेखित की गयी है और उनकी सूची दी गयी है, जिसे डाउनलोड भी किया जा सकता है। यह विशेष रूप से नवरात्री और अक्षय नवमी आदि के दौरान दुर्गा पूजा के लिए है।

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पूजा विधि मंत्र सहित - कर्मकांड सीखना

पूजा विधि मंत्र सहित – कर्मकांड सीखना

कर्मकांड सीखना : यह भारतीय कर्मकांड की भौमिक को समझाने का प्रयास करता है। कर्मकांड का सीखना मिश्रित प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न संस्कार, पूजन विधि, हवन विधि, और यज्ञ विधि शामिल हैं। एक कर्मकांडी बनने के लिए, सटीकता, इंद्रियों पर नियंत्रण, और सत्याग्रह की आवश्यकता होती है। यद्यपि ऑनलाइन साधारण कर्मकाण्ड उपयोगी मान गया है, लेकिन यह विशदीकरण के बिना शास्त्रीय कर्मकांड का प्रशिक्षण प्रदान करने में सक्षम नहीं होता है। वेबसाइट karmkandvidhi.com पर विस्तृत सामग्री उपलब्ध है जो कर्मकांड सीखने में सहायक हो सकती है।

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