यहां है एक नहीं चार-चार सूर्याष्टक स्तोत्र – 4 suryashtak stotra

यहां है एक नहीं चार-चार सूर्याष्टक स्तोत्र - 4 suryashtak stotra

आठ अंक का अध्यात्म में विशेष महत्व है। कमल में अष्टदल होते हैं और कमल सभी देवताओं का प्रिय पुष्प है। यदि आसन हेतु विचार करें तो जहां विशेष मंडल है उसमें भी और न हो तो भी अष्टदल निर्माण किया जाता है। माला में 100 मनके नहीं 8 मनके अधिक लगाये जाते हैं। प्रणाम करने में अष्टांग प्रणाम का विशेष महत्व होता है और उसे साष्टांग प्रणाम कहा जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि अष्ट (आठ) अंक विशेष महत्वपूर्ण है। स्तोत्रों में भी अष्टक का विशेष महत्व होता है। यहां भगवान सूर्य के चार अष्टक अर्थात सूर्याष्टक स्तोत्र दिये गये हैं।

सर्वप्रथम साम्ब कृत सूर्याष्टक स्तोत्र (आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर) दिया गया है जो सर्वाधिक प्रसिद्ध है और प्रयोग भी किया जाता है। तत्पश्चात पण्डितरघुनाथशर्मा विरचित श्रीसूर्याष्टक दूसरे क्रम पर है और तीसरे क्रम पर अनन्तानन्दसरस्वतीविरचित श्रीसूर्याष्टक दिया गया है। पुनः चतुर्थ क्रम पर गायत्रीस्वरूप ब्रह्मचारीविरचित श्रीसूर्याष्टक दिया गया है। इसके साथ ही अंत में भास्कराष्टक नामक स्तोत्र भी दिया गया है।

सूर्याष्टक 1 – साम्ब कृत सूर्याष्टक स्तोत्र (आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर)

सूर्याष्टक 2 – श्रीपण्डितरघुनाथशर्मणा विरचितं श्रीसूर्याष्टकं

सूर्याष्टक 3 – अनन्तानन्दसरस्वतीविरचित श्रीसूर्याष्टक

सूर्याष्टक 4 – गायत्रीस्वरूप ब्रह्मचारीविरचितं श्रीसूर्याष्टकं

सूर्य सहस्रनाम स्तोत्र - surya sahasranam stotra

भास्कराष्टक

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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