यहां पढ़ें महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र संस्कृत में – mahishasura mardini stotram

यहां पढ़ें महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र संस्कृत में - mahishasura mardini stotram

महिषासुर का मर्दन करने वाली अर्थात वध करने वाली देवी का नाम महिषासुर मर्दिनी है जो माता दुर्गा का ही एक और रूप माना जाता है। नवरात्र में जो प्रतिमायें स्थापित करके पूजा-महोत्सवादि मनाया जाता है वह महिषासुर मर्दिनी की ही प्रतिमा होती है। श्री दुर्गा सप्तशती के द्वितीय चरित्र में महिषासुर वध का प्रसंग है। श्री दुर्गा सप्तशती का द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ अध्याय द्वितीय चरित्र कहलाता है। यहां महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र (mahishasura mardini stotram) और महिषासुर मर्दिनी कवच स्तोत्र (Mahishasura mardini Kavacham) दोनों संस्कृत में दिया गया है।

महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र : “जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते“; एक बहुत ही प्रसिद्ध स्तोत्र है जो माता दुर्गा अथवा भगवती के किसी भी रूप की पूजा-अराधना करते समय गाया जाता है। यह शंकराचार्य विरचित बताया जाता है और इसमें २१ पद हैं एवं बाईसवां पद फलश्रुति है।

विश्वसारतन्त्रोक्त महिषासुर मर्दिनी कवच ~ Mahishasura mardini Kavacham

विश्वसारतन्त्र में महिषासुरमर्दिनि देवी के निमित्त एक कवच स्तोत्र भी प्राप्त होता है जो बहुत ही लाभकारी है। इसमें सिद्धि विधान हेतु मासपारायण का विधान बताया गया है जिसमें प्रतिदिन (रात्रिकाल में) ६ सहस्र आवृत्ति पाठ करने के लिये कहा गया है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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