ब्रह्म पुराणोक्त जगन्नाथ स्तोत्र – jagannath stotram

ब्रह्म पुराणोक्त जगन्नाथ स्तोत्र - jagannath stotram

भगवान जगन्नाथ अर्थात जगत के नाथ। भगवान विष्णु का ही नाम जगन्नाथ है और इनका प्रसिद्ध मंदिर पुरी में है। पुरी का नाम ही भगवान जगन्नाथ के नाम पर जगन्नाथ पुरी है। ब्रह्म पुराण में स्वयं ब्रह्मा ने भगवान जगन्नाथ की स्तुति किया है जिसमें पांच श्लोक हैं। पुनः ब्रह्मपुराण में ही एक दूसरा जगन्नाथ स्तोत्र भी है जो मार्कण्डेयकृत है। यहां ब्रह्म पुराणोक्त दोनों ही जगन्नाथ स्तोत्र (jagannath stotram) संस्कृत में दिया गया है।

मार्कण्डेयकृत जगन्नाथ स्तोत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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