अग्निवास विचार - Agnivas Vichar

अग्निवास विचार – Agnivas Vichar

अग्निवास (agnivas) का मतलब है की कर्मकांड के परिप्रेक्ष्य में सूक्ष्म रूप से अग्नि पृथ्वी, पाताल और आकाश में वास किया करते हैं, जिसका निर्धारण विशेष ज्योतिषीय गणना द्वारा किया जाता है। अग्नि जब भूमिवास में हों तभी हवन करना चाहिये।

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भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें ?

भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें ?

भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें : फाल्गुन, चैत्र, वैशाख – वायव्य कोण
ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण – नैऋत्यकोण
भाद्र, आश्विन, कार्तिक – अग्निकोण और
मार्ग, पौष, माघ – ईशानकोण में खात को प्रशस्त बताया जाता है।

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बिना पंडित के गृह प्रवेश कैसे करें

बिना पंडित के गृह प्रवेश कैसे करें ?

अन्य किसी विधि-व्यवस्था में अपेक्षित व्यक्ति के बिना करने की चर्चा नहीं की जाती है किन्तु सनातन में लगभग सभी कर्मकांड बिना पंडित के करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। नाना प्रकार के आलेख-विडियो आदि माध्यमों से उत्प्रेरित करते हुये ऐसा प्रयास किया जाता है कि कर्मकांड बिना पंडित कैसे कैसे किया जा सकता है

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गृह प्रवेश के नियम – गृह प्रवेश पूजा विधि की 21 महत्वपूर्ण बातें।

गृह प्रवेश के नियम – गृह प्रवेश पूजा विधि की 21 महत्वपूर्ण बातें

गृह प्रवेश के नियम – गृह प्रवेश पूजा विधि की 21 महत्वपूर्ण बातें : इसके साथ ही गृहप्रवेश के संबंध में भी कई महत्वपूर्ण बातें होती हैं जो सामान्य जन नहीं जान पाते। यहां गृहप्रवेश से संबंधित 21 महत्वपूर्ण बातें बताई गयी है जो गृहप्रवेश करने से पहले जानना आवश्यक होता है।

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16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार

16 संस्कार क्या है ? सनातन धर्म के 16 संस्कार : मनुष्य जन्म अत्यंत दुर्लभ होता है और यह पुण्योदय के परिणामस्वरूप प्राप्त होता है। मनुष्य शरीर की प्राप्ति का प्रमुख उद्देश्य मोक्ष प्राप्ति करना होता है। इसके लिए, हमें अपने पहले संचित दोषों को साफ करना होता है और नए सद्गुणों को स्थापित करना होता है, जिसे “संस्कार” कहा जाता है। सनातन या हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार बताए गए हैं, जो गर्भाधान से लेकर अंतिम संस्कार तक होते हैं और ये हमें मोक्ष प्राप्ति के योग्य बनाने में मदद करते हैं।

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सत्यनारायण पूजा सामग्री

सत्यनारायण पूजा सामग्री एवं नियम

सत्यनारायण पूजा सामग्री : कलयुग में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व कहा गया है। सत्यनारायण पूजा को शीघ्र फल प्रदान करने वाला भी कहा गया है। भगवान विष्णु ने नारद को सत्यनारायण-व्रत-पूजा का महत्व बताते हुये स्वयं कहा है – सत्यनारायणस्येदं व्रतं सम्यग्विधानतः। कृत्वा सद्यः सुखं भुक्त्वा परत्र मोक्षमालभेत्।।

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व्यापार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ? व्यापार बढ़ाने का सबसे बड़ा उपाय

व्यापार बढ़ाने के लिए क्या करना चाहिए ? व्यापार बढ़ाने का सबसे बड़ा उपाय

इस पोस्ट में यदि किसी व्यापार की वृद्धि नहीं हो रही हो, तो उसके व्रद्धि के लिए उपायों पर विचार किया गया है। इसमें बताया गया है कि सेवाओं को बेहतर बनाने, ग्राहकों की आवश्यकताओं को समझने, व्यापार स्थल को स्वच्छ बनाए रखने, कर्तव्यनिष्ठा और आत्मनिरीक्षण के माध्यम से व्यापार की संभावनाएं बढ़ाई जा सकती हैं। सबसे महत्वपूर्ण उपाय के रूप में, अपने व्यापार के वस्तु के ग्रह को समझने और उसके प्रति सकारात्मक रवैया अपनाने का सुझाव दिया गया है। यहां कई तरह की वस्तुओं और उनके संबंधित ग्रहों, मंत्रों की चर

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मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को

मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को

मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को : मकर संक्रांति 2024 में 15 जनवरी; सोमवार को होगी। मकर संक्रांति हर बार 14 जनवरी को होता है; तो अब 15 जनवरी को क्यों होगा? इसका उत्तर यह है कि सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी की आधी रात के बाद प्रविष्ट होंगे। पुण्यकाल का निर्धारण यह स्वीकार करता है कि सूर्य का निकटतम उदित होने का दिन ही प्रमाणिक होता है। मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो देवताओं का दिन आरम्भ होता है। मकर संक्रांति में किया गया स्नान-दान विशेष पुण्यदायक होता है।

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सरल पूजा विधि

सरल पूजा विधि या दैनिक पूजा विधि

सरल पूजा विधि या दैनिक पूजा विधि : सरल पूजा विधि वह होती है, जिसमें ब्राह्मणों और मंत्रों की आवश्यकता नहीं होती और उपलब्ध सामग्री से पूजा की जा सकती है। इसे दैनिक पूजा विधि भी कहा जाता है। स्थान की सफाई, पवित्र और धुले वस्त्रों में पूजा करना, और दैनिक पूजा एक निर्धारित समय और स्थान पर करना कुछ मूल नियम होते हैं। पूजा के समय आत्मा को संसार से उन्मुक्त करके, भगवान में लगाना चाहिए। दैनिक पूजा में सरलता एवं शास्त्रानुसार पञ्चोपचार पूजा विधि को माना जाता है, जहाँ चंदन, पुष्प, धूप, दीप और नैवेद्य का ही उपयोग होता है।

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पूजा विधि मंत्र सहित - कर्मकांड सीखना

पूजा विधि मंत्र सहित – कर्मकांड सीखना

कर्मकांड सीखना : यह भारतीय कर्मकांड की भौमिक को समझाने का प्रयास करता है। कर्मकांड का सीखना मिश्रित प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न संस्कार, पूजन विधि, हवन विधि, और यज्ञ विधि शामिल हैं। एक कर्मकांडी बनने के लिए, सटीकता, इंद्रियों पर नियंत्रण, और सत्याग्रह की आवश्यकता होती है। यद्यपि ऑनलाइन साधारण कर्मकाण्ड उपयोगी मान गया है, लेकिन यह विशदीकरण के बिना शास्त्रीय कर्मकांड का प्रशिक्षण प्रदान करने में सक्षम नहीं होता है। वेबसाइट karmkandvidhi.com पर विस्तृत सामग्री उपलब्ध है जो कर्मकांड सीखने में सहायक हो सकती है।

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