Dharm : धर्म क्या है ? दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौन सा है ?

Dharm : धर्म क्या है ? दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौन सा है ?

Dharm – धर्म क्या है ? दुनिया का सबसे पुराना धर्म कौन सा है – धर्म एक जटिल विषय है जिसे समझने के लिए शास्त्रों का सन्दर्भ लेना पडता है। धर्म की परिभाषा ही है – वास्तविकता की सत्य धारणा जो वेदों द्वारा प्रेरित कर्त्तव्यों का पालन और अकर्त्तव्यों का त्याग करवाती है। वेद-विहित कार्य, वेद निषिद्ध कार्य, कर्त्तव्य और अकर्त्तव्य, सभी शास्त्रीय सिद्धांतों का हिस्सा होते हैं। सनातन धर्म, जो अनादि और अनंत है, किसी विचारधारा के समूह को नहीं इंगित करता, बल्कि एक कोणतीय धनुष की तरह सत्य जीवन के मार्ग को दर्शाती है। धर्मपालन के बिना आत्मकल्याण असंभव है। धर्म एक

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सनातन धर्म की स्थापना किसने की ?

सनातन धर्म की स्थापना किसने की ? कब कैसे और कहां ?

सनातन धर्म की स्थापना किसने की – सनातन धर्म का अर्थ है वह धर्म जो अनादि काल से है और अनंत काल तक रहेगा। इसकी स्थापना का प्रश्न इतिहासकारों के लिए कठिन है, क्योंकि यह अत्यंत पुराना है। वैज्ञानिकों द्वारा पृथ्वी की उम्र करीब 2 अरब वर्ष मानी जाती है, जबकि सनातन धर्म सृष्टि के आरम्भ होने को करीब 1955885124 वर्ष पुराना बताता है। सनातन धर्म की स्थापना भगवान ने की और जब भी धर्म की हानि होती है, तभी भगवान मनुष्य रूप में अवतरित होकर उसकी पुनर्स्थापना करते हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत की ज्योतिष विद्या

विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत की ज्योतिष विद्या

भारतीय ज्योतिष शास्त्र रोगों की उत्पत्ति और उनके उपचार के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को इसका समुचित उपयोग करके विश्व को लाभान्वित करने की आवश्यकता है। इससे चिकित्सा विज्ञान और रोगी दोनों का लाभ होगा। भारत को इस विषय पर ढेर सारे शोध और संशोधन करके पाठ्यपुस्तकों में जोड़ने की जरूरत है ताकि विश्व को चिकित्सा में नए आयाम देखने को मिलें। ज्योतिष शास्त्र पर किए गए शोध और उनके नतीजों को साझा करने में आंतरराष्ट्रीय स्थापनाओं को उत्साहित करना चाहिए।

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कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय - आत्महत्या विषय के सन्दर्भ में

कमजोर चंद्रमा के लक्षण और उपाय – आत्महत्या विषय के सन्दर्भ में

चन्द्रमा मन का कारक होता है, मन के द्वारा सोच-विचार किया जाता है। विचारों की उत्पत्ति मन में होती है और आत्महत्या संबंधी विचार का जन्म भी मन में ही होता है; लेकिन इससे यह कैसे सिद्ध होता है कि चन्द्रमा आत्महत्या का भी कारक है? जितने भी शुभ-अशुभ विचार होते हैं सभी मन में…

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धर्मो रक्षति रक्षितः का अर्थ

धर्मो रक्षति रक्षितः – पूर्ण श्लोक अर्थ सहित

धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक क्या है ? धर्मो रक्षति रक्षितः श्लोक का अर्थ क्या है ? इस लेख में हम इस श्लोक के ऊपर विस्तृत चर्चा करेंगे। क्या आप धर्मो रक्षति रक्षितः पूर्ण श्लोक को जानते हैं ? यह श्लोक किस ग्रंथ का है ? धर्मो रक्षति रक्षितः का क्या अर्थ है ? हम यहाँ इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे। इसके संदर्भ को समझने का प्रयास करेंगे।

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आत्महत्या के कारण – आत्महत्या रोकथाम के उपाय

आत्महत्या के कारण – आत्महत्या रोकथाम के उपाय

आत्महत्या की मूल समस्या आत्मबल की कमी मानी जाती है। सूर्य के सबल होने से आत्मबल बढ़ता है। निराशावादी और असफलतापूर्ण व्यक्ति के आत्मबल में कमी होती है। इस मुद्दे को दूर करने के लिए आत्महत्या रोकथाम के प्रयासों पर चर्चा करनी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आत्मशक्ति को बढ़ाने, सूर्य उपासना, आशावादी सोच, और परिवारिक एकता को बढ़ाने, और सनातन विद्या को मान्यता देने के बारे में सुझाव दिए गए हैं। आत्महत्या को दूर करने का सफल रास्ता आत्मबल में वृद्धि करना है।

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आत्महत्या क्या है ? आत्महत्या के कारण - या मूल कारण क्या हैं ?

आत्महत्या क्या है ? आत्महत्या के कारण – या मूल कारण क्या हैं ?

ईश्वर द्वारा प्रदत्त अमूल्य जीवन को स्वतंत्र रूप से समाप्त करना आत्महत्या है, जिस पर विचारणीय रूप से कम ही चर्चा होती है। इस लेख में, आत्महत्या का स्वरूप, इसके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई, और क्यों किसी को आत्महत्या का अधिकार नहीं होता है पर विचार किया गया है। आत्मायुक्त शरीर का सम्मान किया जाना चाहिए क्योंकि इसमें ईश्वर का ही अंश विद्यमान होता है। आत्महत्या को अक्षम्य पाप माना जाता है और इसके प्रतीक आत्महत्या को रोकने का उपाय आत्मा से संबंधित जीवन को समझने और सूर्य की उपासना करने में निहित है।

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कोहरा दान

कोहरा क्या है ? अक्षय नवमी के दिन क्या करना चाहिए ?

अक्षय नवमी का महत्व सनातन धर्म में अत्यंत उच्च है। इस साल 2023 में यह पर्व 21 नवम्बर मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन कूष्माण्ड (कोहरा) दान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे पुण्य प्राप्त किया जाता है। कूष्माण्ड दान से पापों की शमन होती है और पुत्र, पौत्र, धन सम्पत्ती की वृद्धि होती है। इसमें दान की विधि और मंत्र भी सम्पूर्ण रूप से निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें जानकर व्यक्ति अधिक से अधिक पुण्य प्राप्त कर सकता है।

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दण्ड क्या है ? दण्ड का उद्देश्य क्या है?

दण्ड क्या है : “दण्ड” शब्द कई अर्थों में प्रयोग होता है: एक डंडा, चोट, सजा, एक समय मापन की इकाई, व्यायाम, और एक प्रणाम. राजनीतिक उपायों में भी इसकी पहचान दण्ड के रूप में की जाती है। इसका अन्य विशेष अर्थ छठ महापर्व में पाया जाता है, जब व्रती सूर्य को प्रणाम कर दण्ड देते हैं, जिसका उद्देश्य किसी कामना की पूर्ति होती है। यहाँ पर “दण्ड” शब्द का अर्थ पूजा घाट तक दण्डवत प्रणाम कर जाना होता है। इसे सूर्य को दण्ड देना कहा जाता है।

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कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती है

कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती है

कार्तिकेय की पूजा क्यों नहीं होती है : दक्षिण भारत में मुरुगन के नाम से उनकी पूजा होती है, जो उत्तर भारत में कम होती है। हालांकि, कार्तिकेय उत्तर में भी पूजे जाते हैं और उसके कई प्रमाण हैं, जैसे कि दुर्गा पूजा, यज्ञानुष्ठान, और स्कंद षष्ठी त्यौहार। विभिन्न मान्यताओं के हिसाब से, महिलाएं कार्तिकेय की पूजा नहीं करतीं हैं क्योंकि उन्होंने कभी नारी जाति को श्राप दिया था। वह कहते हैं कि जो स्त्री उनका मांस और खाल से रहित स्वरूप देखेगी, वह सात जन्मों तक विधवा रहेगी।

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