भद्रा वास विचार

भद्रा क्या है ? भद्रा कैसे देखते हैं – भद्रा वास विचार

भद्रा के तीनों परिहार दो कार्यों का त्याग करके ही किया जाता है। परिहार का विचार रक्षाबंधन और होलिका दहन में नहीं किया जा सकता। होलिका दहन रात्रि में ही किया जाना होता है अतः यदि भद्रारहित काल न मिले तो होलिका में भी पुच्छ भाग वाला परिहार ग्राह्य होता है।

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शिववास विचार

शिववास विचार – शिव वास देखने का नियम , फल और परिहार।

मुख्य रूप से जब शिव का प्रथम आवाहन करना होता है तब शिववास का विचार करना आवश्यक होता है तथापि बहुत विद्वान रुद्राभिषेक के लिये भी शिववास विचार करने का मत व्यक्त करते हैं।

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नामकरण कैसे करें ? नामकरण संस्कार

नामकरण कैसे करें ? नामकरण संस्कार

सूतिका को पंचगव्य प्राशन करा दे।
फिर पूर्व बताई विधि के अनुसार बालक को लेकर सूतिका पूजा स्थान पर आये।
बालक को गोद में ली हुई माता अग्नि की प्रदक्षिणा करके संस्कारकर्ता के बांयी ओर बैठे ।
आचमन करके पूजित देवताओं का स्मरण करके पुष्पांजलि दे।
फिर आचार्य अथवा बालक का पिता स्वर्ण शलाका से अष्टगंधादि द्रव्य का द्वारा पीपल के पांच पत्ते या श्वेत वस्त्र पर बच्चे के लिये निर्धारित पंचनाम लिखे।
फिर पंचनामों को तण्डुलपूर्ण पात्र में रखकर अक्षत-पुष्पादि लेकर उसकी प्रतिष्ठा करे :

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बिना पंडित के हवन कैसे करें

बिना पंडित के हवन कैसे करें

हवन का जो सबसे महत्वपूर्ण तथ्य वो यह है कि मात्र एक हवन जिसे नित्य होम कहा जाता है और नित्य होम करने वाले को अग्निहोत्री कहा जाता है, उस नित्य होम को छोड़कर अन्य कोई भी हवन बिना ब्राह्मण के नहीं हो सकता।

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अग्निवास

अग्नि वास चार्ट 2024

यहां अग्नि वास चार्ट 2024 दिया जा रहा है जिसके द्वारा बिना किसी गणितीय क्रिया के अग्निवास की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

यह हवन करने वालों के लिये बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकता है।

साथ ही यदि आप सभी महीनों के अग्नि वास चार्ट 2024 pdf फाइल डाउनलोड करना चाहें तो डाउनलोड भी कर सकते हैं।

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अग्निवास विचार - Agnivas Vichar

अग्निवास विचार – Agnivas Vichar

अग्निवास (agnivas) का मतलब है की कर्मकांड के परिप्रेक्ष्य में सूक्ष्म रूप से अग्नि पृथ्वी, पाताल और आकाश में वास किया करते हैं, जिसका निर्धारण विशेष ज्योतिषीय गणना द्वारा किया जाता है। अग्नि जब भूमिवास में हों तभी हवन करना चाहिये।

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भूमि पूजन मुहूर्त 2024 – गृहारम्भ मुहूर्त

भूमि पूजन मुहूर्त 2024 – गृहारम्भ मुहूर्त

जब भी घर का निर्माण करना होता है तो निर्माण से पूर्व अनेकानेक विचार करके फिर गृहारंभ का मुहूर्त बनाया जाता है। मुहूर्त निर्धारण तो पंचांगकर्ता ज्योतिर्विद ही किया करते हैं और पंचांगों में अंकित करते हैं।

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संपूर्ण पुण्याहवाचन विधि

संपूर्ण पुण्याहवाचन विधि

पुण्याहवाचन विधि : प्रत्येक विशेष पूजा-अनुष्ठान, मंगलकार्य आदि में पुण्याहवाचन का विशेष विधान किया गया है। ब्राह्मणों ईश्वर का मुख बताया गया है और ब्राह्मण के वचन का विशेष महत्व होता है। ब्राह्मण के वचन के ही व्रत-पूजा आदि की पूर्णता भी होती है। इसी क्रम में कल्याण कामना हेतु ब्राह्मणों से कल्याणकारी वचन प्राप्त करना पुण्याहवाचन कहलाता है।

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नववधू गृह प्रवेश - अर्थात वधूप्रवेश की शास्त्रीय विधि क्या है ?

नववधू गृह प्रवेश – अर्थात वधूप्रवेश की शास्त्रीय विधि क्या है ?

जब किसी नये वर-वधू का विवाह होता है तो विवाहोपरांत वधू विदा होती है और वर के घर जाती है। वर के घर में जब वधू प्रथम बार प्रवेश करती है तो उसे वधू प्रवेश कहा जाता है। वधू प्रवेश के लिये भी मुहूर्त का विधान है तथापि विवाह से 16 दिनों तक वधूप्रवेश हेतु मुहूर्त बनाने की आवश्यकता नहीं होती है।

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भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें ?

भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें ?

भूमि पूजन किस दिशा में करें – खात की दिशा कैसे ज्ञात करें : फाल्गुन, चैत्र, वैशाख – वायव्य कोण
ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण – नैऋत्यकोण
भाद्र, आश्विन, कार्तिक – अग्निकोण और
मार्ग, पौष, माघ – ईशानकोण में खात को प्रशस्त बताया जाता है।

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