नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कब है - पूजा विधि

नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कब है – पूजा विधि

नरक निवारण चतुर्दशी (narak nivaran chaturdashi) कब है – पूजा विधि : लिङ्गपुराण में नरक निवारण चतुर्दशी की कथा है जिसमें इसकी महिमा बताते हुये कहा गया है : अश्वमेधसहस्राणि वाजपेयशतानि च। प्राप्नोति तत्फलं सर्वं नात्र कार्या विचारणा॥ एक हजार अश्वमेध यज्ञ और एक सौ वाजपेय यज्ञ करने से जो फल प्राप्त होता है वो फल नरक निवारण चतुर्दशी व्रत करने से प्राप्त होता है, इसमें विचार नहीं करना चाहिये अर्थात शंका नहीं करनी चाहिये।

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सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित - saraswati puja vidhi

सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित ~ Saraswati Puja Vidhi

सरस्वती पूजा विधि मंत्र सहित ~ Saraswati Puja Vidhi : इस लेख में, हम आपको माता सरस्वती की पूजा विधि और मंत्रों के बारे में बताएँगे। विद्या की देवी सरस्वती की पूजा के दिन मंदिर, मंडप, विद्यालय में पूजा की जाती है और जहाँ भी विशेष पूजा हो, वहां लक्ष्मी और गणेश की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है।

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सरस्वती पूजा कब है 2025 में - saraswati puja kab hai

सरस्वती पूजा कब है 2025 में – saraswati puja kab hai

सरस्वती पूजा कब है 2025 में – saraswati puja kab hai : सरस्वती पूजा 2025 में 3 फरवरी सोमवार को माघ शुक्ल पंचमी को है। परविद्धा पंचमी को ही सरस्वती पूजा हेतु विशेष रूप से स्वीकार किया गया है। 3 फरवरी सोमवार को औदयिक पंचमी परविद्धा है इसलिये 2025 में सरस्वती पूजा इसी दिन होगा।

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मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि

मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि

मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि : मकर संक्रांति एक धार्मिक और खगोलीय महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के समय मनाया जाता है। यह महत्वपूर्ण पर्व शिशिर ऋतु के आगमन को चिन्हित करता है जो विशेष ठंड के महीने की शुरुआत होती है। इस दिन विशेष रूप से तिल का उपयोग होता है, इसलिए इसे तिलसंक्रांति भी कहा जाता है। स्नान, दान और पूजन, मकर संक्रांति के पुण्य काल के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। यह पर्व धर्म, खगोल विज्ञान और सामाजिक आयोजनों के संगम का प्रतीक है।

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मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को

मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को

मकर संक्रांति कब है 14 या 15 को : मकर संक्रांति 2024 में 15 जनवरी; सोमवार को होगी। मकर संक्रांति हर बार 14 जनवरी को होता है; तो अब 15 जनवरी को क्यों होगा? इसका उत्तर यह है कि सूर्य मकर राशि में 14 जनवरी की आधी रात के बाद प्रविष्ट होंगे। पुण्यकाल का निर्धारण यह स्वीकार करता है कि सूर्य का निकटतम उदित होने का दिन ही प्रमाणिक होता है। मकर संक्रांति का अर्थ है सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो देवताओं का दिन आरम्भ होता है। मकर संक्रांति में किया गया स्नान-दान विशेष पुण्यदायक होता है।

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रविवार व्रत कब से शुरू करे

रविवार व्रत के नियम क्या-क्या हैं ?

रविवार व्रत के नियम : रविवार व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसे वृश्चिक राशि में सूर्य के होने पर जो शुक्ल पक्ष होता है, उसमें शुरू किया जाता है और मेष राशि में सूर्य के होने पर शुक्ल पक्ष में समाप्त किया जाता है। इसे करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं जिससे आरोग्य लाभ होता है, नेत्र पीड़ा से मुक्ति मिलती है, हृदय रोग निवारित होते है और सरकारी नौकरी, पदोन्नति आदि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, दरिद्रता का नाश भी होता है। यदि व्रत का आरंभ और समापन सही समय पर नहीं किया जाता, तो इसके कुछ नकरात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

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देवोत्थान-एकादशी-पूजा-विधि-एवं-मंत्र

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra : पहले पूजा की तैयारी कर लें। चौक पूरकर (रंगोली सजाकर) एक चौकी या पीढिया पर चारों कोने में दीप जलाकर बीच में ताम्रपात्र में शालिग्राम (अथवा विष्णु प्रतिमा हो या पान पर सुपारी और तिलपुंज बनाकर) स्थापित करें।

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एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा – संक्षेप में 26 एकादशी की व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा : सभी एकादशी के अलग-अलग नाम कहे गए हैं अरु सभी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा भी विभिन्न नामों से की जाती है। सभी एकादशी के फल भी अलग-अलग बताये गए हैं जो नामानुसार परिलक्षित भी होते हैं। यहाँ सभी एकादशी के कथा संक्षेप में प्रस्तुत की जा रही है। यथाशीघ्र प्रत्येक एकादशी की अलग-अलग पूर्ण कथा भी प्रस्तुत की जाएगी।

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26 एकादशी के नाम

एकादशी के नाम क्या-क्या हैं ? क्या आप 26 एकादशी के नाम जानते हैं ?

एकादशी के नाम क्या-क्या हैं ? क्या आप 26 एकादशी के नाम जानते हैं ? : एकादशी व्रत को विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में महत्वपूर्ण माना जाता है, यह भगवान विष्णु के प्रति समर्पित होता है। यह व्रत विविध कामनाओं की पूर्ति, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति सुनिश्चित करता है। सभी 12 महीनों में 26 एकादशी व्रत होते हैं, जिनहें उत्पन्ना, मोक्षदा, सफला, पुत्रदा और अन्य नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का आरंभ मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से किया जाता है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में प्रबल उत्साह हो, तो वह किसी अन्य माह में शुरू कर सकता है।

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कोहरा दान

कोहरा क्या है ? अक्षय नवमी के दिन क्या करना चाहिए ?

अक्षय नवमी का महत्व सनातन धर्म में अत्यंत उच्च है। इस साल 2023 में यह पर्व 21 नवम्बर मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन कूष्माण्ड (कोहरा) दान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे पुण्य प्राप्त किया जाता है। कूष्माण्ड दान से पापों की शमन होती है और पुत्र, पौत्र, धन सम्पत्ती की वृद्धि होती है। इसमें दान की विधि और मंत्र भी सम्पूर्ण रूप से निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें जानकर व्यक्ति अधिक से अधिक पुण्य प्राप्त कर सकता है।

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