पढ़िये श्री रामाष्टकं स्तोत्र संस्कृत में - ramashtakam stotram

पढ़िये श्री रामाष्टकं स्तोत्र संस्कृत में – ramashtakam stotram

पढ़िये श्री रामाष्टकं स्तोत्र संस्कृत में – ramashtakam stotram : जिस प्रकार से सभी देवी-देवताओं के लिये अष्टक स्तोत्र होते हैं भगवान श्री राम के भी अष्टक स्तोत्र हैं अर्थात 8 श्लोक में की गयी स्तुति जिसे रामाष्टकं स्तोत्र (ramashtakam stotram) कहा जाता है। यहां भगवान श्री राम के दो अष्टक स्तोत्र दिये गये हैं प्रथम आनन्द रामायणोक्त शिवकृत रामाष्टकं स्तोत्र और द्वितीय व्यास कृत रामाष्टकं स्तोत्र।

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कल्याणकारी मंगल स्तोत्र अथवा मनोरथाष्टकम् - kalyankari mangal stotra

कल्याणकारी मंगल स्तोत्र अथवा मनोरथाष्टकम् – kalyankari mangal stotra

कल्याणकारी मंगल स्तोत्र अथवा मनोरथाष्टकम् – kalyankari mangal stotra : प्रातः स्मरणीय मंगल श्लोकों के बारे में तो लोग जानते ही हैं किन्तु इसके अतिरिक्त भी अनेकों कल्याणकारी मंगल स्तोत्र हैं जिनमें से एक प्रमुख स्तोत्र है व्यासकृत मंगल स्तोत्र (mangal stotra) जिसे मनोरथाष्टक भी कहा जाता है अर्थात यह स्तोत्र मनोरथ सिद्ध करने वाला है।

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पढ़ें अग्नि अष्टक अर्थात वह्न्यष्टक स्तोत्र संस्कृत में - agni ashtak stotra

पढ़ें अग्नि अष्टक अर्थात वह्न्यष्टक स्तोत्र संस्कृत में – agni ashtak stotra

पढ़ें अग्नि अष्टक अर्थात वह्न्यष्टक स्तोत्र संस्कृत में – agni ashtak stotra : हम क्रमशः अग्नि स्तोत्रों का अवलोकन कर रहे हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं और अब हमें अग्नि के अष्टक स्तोत्र का भी अवलोकन करना चाहिये। सभी देवताओं के अष्टक स्तोत्र होते हैं और अग्नि के भी अष्टक स्तोत्र हैं जो सीताकृत है और कूर्मपुराण में वर्णित है।

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पशुपत्यष्टकम् स्तोत्र संस्कृत में - pashupati ashtak

पशुपत्यष्टकम् स्तोत्र संस्कृत में – pashupati ashtak

पशुपत्यष्टकम् स्तोत्र संस्कृत में – pashupati ashtak : स्तोत्र स्वयं में तो महत्वपूर्ण होता ही है यदि वह अष्टक हो तो महत्ता में और भी वृद्धि हो जाती है। भगवान शिव को पशुपति भी कहा जाता है। पशुपति का तात्पर्य समस्त प्राणियों के स्वामी हैं। यहां श्री पशुपत्यष्टकम् स्तोत्रं (pashupati ashtak) संस्कृत में दिया गया है।

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उपमन्युकृत अर्द्धनारीश्वर अष्टक स्तोत्र - ardhnarishwar ashtak

उपमन्युकृत अर्द्धनारीश्वर अष्टक स्तोत्र – ardhnarishwar ashtak

उपमन्युकृत अर्द्धनारीश्वर अष्टक स्तोत्र – ardhnarishwar ashtak : शास्त्रों में भी शिव और शक्ति को भिन्न नहीं माना गया है। शिव और शक्ति एक-दूसरे से उसी प्रकार अभिन्न हैं, जिस प्रकार सूर्य और उसका प्रकाश, अग्नि और उसका ताप तथा दूध और उसकी धवलता, चन्द्रमा और उसकी शीतलता ।

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यहां पढ़ें सरस्वती अष्टक स्तोत्र संस्कृत में - saraswati ashtaakam

यहां पढ़ें सरस्वती अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – saraswati ashtaakam

यहां पढ़ें सरस्वती अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – saraswati ashtaakam : प्रथम पद्मपुराणोक्त दिव्यज्ञान प्रदायक सरस्वती अष्टक स्तोत्र दिया गया है और उसके पश्चात् एक अन्य सरस्वत्यष्टक भी दिया गया है। दोनों ही अष्टक स्तोत्र संस्कृत में हैं।

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यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र - Nil saraswati stotram

यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र – Nil saraswati stotram

यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र – Nil saraswati stotram : दशमहाविद्याओं में माता तारा भी एक प्रमुख महाविद्या हैं। सभी देवताओं की भांति इनका भी एक अष्टक स्तोत्र है जिसे ताराष्टक के साथ-साथ नीलसरस्वती स्तोत्र भी कहते हैं। यहां श्री नीलसरस्वती स्तोत्र (Nil saraswati stotram) अर्थात ताराष्टक स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र संस्कृत में - kali pratyangira stotra

यहां पढ़ें कालिका अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – kalika ashtak

यहां पढ़ें कालिका अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – kalika ashtak : सभी देवी देवताओं का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र होता है अष्टकं। अष्टक स्तोत्र का तात्पर्य आठ स्तुति करना है, अष्टप्रणाम करना है। यहां शंकराचार्य कृत कालिकाष्टक दिया गया है।

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