छठ पूजा कब है 2024 – छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ?

छठ पूजा कब है 2024 – छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ?
  • 2024 में छठ व्रत 7 नवम्बर गुरुवार को है ।
  • बिहार में इसे महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस व्रत में शुद्धता का चरमोत्कर्ष देखा जाता है। व्रत से एक दिन पूर्व एकभुक्त (खरना) होता है इस कारण –
  • 2024 में खरना 6 नवम्बर बुधवार के दिन होगा, और व्रत से दो दिन पूर्व नहाय-खाय होता है इस कारण :-
  • नहाय-खाय 5 नवम्बर मंगलवार को होगा।
  • छठ व्रत सूर्य भगवान का व्रत होता है ।

छठ पूजा क्यों मनाई जाती है ?

मूलतः यह षष्ठी व्रत है जिसे प्रतिहारषष्ठी व्रत कहा जाता है। षष्ठी तिथि क्रम में छठे नम्बर पर आती है इसलिए इसे छठि व्रत या छठ व्रत भी कहा जाता है। षष्ठी एक देवी भी हैं जो बच्चों की सुरक्षा का कार्य करती हैं। परन्तु इस व्रत का सम्बन्ध षष्ठी देवी से न होकर षष्ठी तिथि से है।

ऐसा कहा जाता है कि षष्ठी सूर्य की बहन है और इसी कारण सूर्य का व्रत षष्ठी तिथि को मनाया जाता है । कार्तिक मास में ही क्यों मनाया जाता है इसके पीछे भी कारण है। सूर्य मेष में उच्च और तुला में नीच होते हैं। कार्तिक मास में सूर्य तुला राशि में अर्थात् नीच होते हैं अतः निर्बल होते हैं। इस कारण व्रत-पूजा-अर्घ आदि प्रदान उनको सबल करने हेतु अथवा दूसरे शब्दों में स्वयं के लिए नीच दोष निवारण हेतु छठ व्रत कार्तिक मास में ही मनाया जाता है।

छठ पूजा कब है

प्रतिहारषष्ठी व्रत या छठि व्रत (छठि पूजा/छठ पर्व) निर्णय

छठ पूजा कब है 2023 में ?

19 नवम्बर 2023 रविवार को षष्ठी प्रातः 7:23 बजे तक है तत्पश्चात् सप्तमी (क्षय) रात्रि 29:21 (20 नवम्बर 5:21 रात्रिशेष) तक है तत्पश्चात् अष्टमी है। अर्थात् अगले दिन सूर्योदय काल में अष्टमी है, सप्तमी नहीं क्योंकि सप्तमी क्षय है। सप्तमी संयुक्ता षष्ठी 19 नवम्बर रविवार को होने से छठि व्रत इसी दिन होना चाहिए । विशेषता यह है कि सायंकालीन अर्घ तो यथावत् करे किन्तु प्रातःकालीन अर्घ सूर्योदय पूर्व ही सप्तमी में अर्थात् रात्रिशेष 5:21 बजे से पूर्व ही देकर सूर्योदय के बाद पारण करे । छठ व्रत 19 नवम्बर रविवार को है इसलिए खरना (एकभुक्त) एक दिन पहले 18 नवम्बर शनिवार को करें और नहाय-खाय 17 नवम्बर शुक्रवार को ।

छठ पूजा कब है 2024 में ?

2024 में 7 नवम्बर गुरुवार को षष्ठी 24:34 बजे अर्थात रात्रि 12:34 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2024 में छठ व्रत 7 नवम्बर गुरुवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 7 नवम्बर गुरुवार; प्रातः कालीन अर्घ 8 नवम्बर शुक्रवार; खरना (एकभुक्त) 6 नवम्बर बुधवार, नहाय-खाय 5 नवम्बर मंगलवार को होगा।

छठ पूजा कब है 2025 में ?

2025 में 28 अक्टूबर मंगलवार को षष्ठी 7:59 बजे अर्थात प्रातः 7:59 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2025 में छठ व्रत 28 अक्टूबर मंगलवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 28 अक्टूबर मंगलवार; प्रातः कालीन अर्घ 29 अक्टूबर बुधवार; खरना (एकभुक्त) 27 अक्टूबर सोमवार, नहाय-खाय 26 अक्टूबर रविवार को होगा।

छठ पूजा कब है 2026 में ?

2026 में 15 नवम्बर रविवार को षष्ठी 26:00 बजे अर्थात रात्रि 2:00 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2026 में छठ व्रत 15 नवम्बर रविवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 15 नवम्बर रविवार; प्रातः कालीन अर्घ 16 नवम्बर सोमवार; खरना (एकभुक्त) 14 नवम्बर शनिवार, नहाय-खाय 13 नवम्बर शुक्रवार को होगा।

छठ पूजा कब है 2027 में ?

2027 में 4 नवम्बर गुरुवार को षष्ठी 21:37 बजे अर्थात रात्रि 9:37 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2027 में छठ व्रत 4 नवम्बर गुरुवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 4 नवम्बर गुरुवार; प्रातः कालीन अर्घ 5 नवम्बर शुक्रवार; खरना (एकभुक्त) 3 नवम्बर बुधवार, नहाय-खाय 2 नवम्बर मंगलवार को होगा।

छठ पूजा कब है 2028 में ?

2028 में 23 अक्टूबर सोमवार को षष्ठी 20:52 बजे अर्थात रात 8:52 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2028 में छठ व्रत 23 अक्टूबर सोमवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 23 अक्टूबर सोमवार; प्रातः कालीन अर्घ 24 अक्टूबर मंगलवार; खरना (एकभुक्त) 22 अक्टूबर रविवार, नहाय-खाय 21 अक्टूबर शनिवार को होगा।

छठ पूजा कब है 2029 में ?

2029 में 11 नवम्बर रविवार को षष्ठी 18:10 बजे अर्थात रात्रि 6:10 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2029 में छठ व्रत 11 नवम्बर रविवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 11 नवम्बर रविवार; प्रातः कालीन अर्घ 12 नवम्बर सोमवार; खरना (एकभुक्त) 10 नवम्बर शनिवार, नहाय-खाय 9 नवम्बर शुक्रवार को होगा।

छठ पूजा कब है 2030 में ?

2030 में 1 नवम्बर शुक्रवार को षष्ठी 8:04 बजे अर्थात प्रातः 8:04 बजे तक है, तत्पश्चात सप्तमी है। अतः 2030 में छठ व्रत 1 नवम्बर शुक्रवार को ही होना चाहिए। सायंकालीन अर्घ 1 नवम्बर शुक्रवार; प्रातः कालीन अर्घ 2 नवम्बर शनिवार; खरना (एकभुक्त) 31 अक्टूबर गुरुवार, नहाय-खाय 30 अक्टूबर बुधवार को होगा।

छठ पूजा का निर्णय कैसे होता है ?

कृष्णाष्टमी स्कन्दषष्ठी शिवरात्रिचतुर्दशी । एताः पूर्वयुता ग्राह्यास्तिथ्यन्ते पारणं चरेत् ॥ – कृष्णाष्टमी, स्कन्दषष्ठी और शिवरात्रि की चतुर्दशी पूर्वतिथियुत ही ग्राह्य। इनके अतिरिक्त ये तिथियां परयुत ग्राह्य है। अर्थात् अष्टमी, षष्ठी और चतुर्दशी ये तीनों तिथियां अगली तिथि से युत वाली ग्रहण करनी चाहिए अर्थात् औदयिक ग्रहण करने की आज्ञा है किन्तु तीनों के एक-एक अपवाद हैं – अष्टमी हेतु कृष्णाष्टमी, षष्ठी हेतु स्कन्दषष्ठी और चतुर्दशी हेतु शिवरात्रि इन्हें परतिथियुत नहीं पूर्वतिथियुत ग्रहण करना चाहिए।

प्रतिहारषष्ठी व्रत (छठ व्रत) षष्ठी से संबंधित है और षष्ठी अगली तिथि से संयुक्त करनी चाहिए, प्रतिहारषष्ठी व्रत अपवाद में सम्मिलित नहीं है; अतः यह सदा सप्तमी तिथियुत ग्रहण करना चाहिए। पुनः षष्ठ्यामुपोष्य विधिवत् सप्तम्यामर्कपूजयेत्। सद्रव्यभागरुक् चैव सम्प्राप्नोतीप्सितं फलम् ॥ षष्ठी में विधिवत् उपवास/उपासना करके सप्तमी में भी सूर्य की पूजा करनी चाहिए ।

पुनः स्कन्दपुराण से नागविद्धा न कर्तव्या षष्ठी चैव कदाचन। सप्तमी संयुता कार्या षष्ठी सर्वार्थचिन्तकैः ॥ पंचमीविद्धा षष्ठी कभी न करें, सभी प्रकार से कल्याण की इच्छा रखने वाला सप्तमी संयुक्ता षष्ठी ग्रहण करे ।

पुनः विष्णुधर्मोत्तर से एकादश्यष्टमी षष्ठी पौर्णमासी चतुर्दशी। अमावास्या तृतीया च समुपोष्या परान्विता ॥ एकादशी, अष्टमी, षष्ठी, पूर्णिमा, चतुर्दशी, अमावास्या और तृतीया; ये सभी तिथियां अगली तिथि से संयुक्त जिस दिन रहे उसे दिन उपासना करे । और भी बहुत सारे प्रमाण यही सिद्ध करते हैं कि षष्ठी सदा सप्तमीयुत ग्रहण करनी चाहिए मात्र एक अपवाद स्कन्दषष्ठी को छोड़कर।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply