कर्मकांड क्या है – Karmkand kya hai

कर्मकांड का तात्पर्य बहुधा लोग श्राद्ध मात्र समझते हैं और श्राद्ध कराने वाले ब्राह्मण को कर्मकांडी जो की पूर्णतः औचित्यहीन है। श्राद्ध भी कर्मकांड के अंतर्गत आता है और श्राद्ध कराने वाले ब्राह्मण भी कर्मकांडी कहे जाते हैं लेकिन न तो श्राद्ध मात्र कर्मकांड है और न ही श्राद्ध कराने वाले ब्राह्मण मात्र कर्मकांडी होते हैं। कर्मकांडियों के लिये कर्मकांड को समझना अत्यावश्यक है और इस आलेख में कर्मकांड क्या है इसकी जानकारी एवं अनेकों महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भी दिये गये हैं।

कर्मकांड क्या है – Karmkand kya hai

कर्मकांड सीखना मात्र कर्मकांडी ब्राह्मणों के लिये ही आवश्यक नहीं है अपितु सभी (सामान्य जनों) के लिये भी आवश्यक है। इसका कारण यह है कि स्वयं जब कर्म कर रहे होते हैं तो उसकी विधि और मंत्रों की जानकारी स्वयं के लिये भी अनिवार्य है। कर्मकांड सीखने के लिये अनेकों उपयोगी जानकारी आपको यहां मिलेंगी। किन्तु कर्मकांड सीखने से पूर्व तो कर्मकांड को जानना अधिक आवश्यक हो जाता है।

कर्मकांड का अर्थ

कर्मकांड को जानने से पहले हमें कर्म और कांड को अलग-अलग समझने की आवश्यकता होती है। वैसे तो कर्मकाण्ड बहुत व्यापक भाव को समेटे हुए हैं की इसको सही रूप से परिभाषित करना दुष्कर कार्य है।

गर्भधान से लेकर अन्त्यकर्म तक सभी कर्म कर्मकांड के अंतर्गत आते हैं अर्थात शास्त्रों में मनुष्य के लिये सभी कर्मों के सबंध में विधि-विधान बताया गया है और वो सभी कर्मकांड के अंतर्गत ही आते हैं और सभी कर्म शास्त्रोक्त विधि से कराने वाले ब्राह्मण कर्मकांडी कहलाते हैं।

कर्म क्या है ?

एक व्यक्ति जीवन पर्यन्त ज्ञाताज्ञात जो कुछ भी करता है सब कर्म है। अभी मैं आलेख टाइप कर रहा हूँ यह भी कर्म है, शास्त्रवलोकन कर रहा हूँ यह भी कर्म है। किन्तु इन विषयों के लिए एक अतिरिक्त एक सीमित रूप से “अध्यात्म संबंधी कर्मो के संपादन” अर्थात गर्भाधान से अन्त्यकर्म और तत्पश्चात के तर्पण-श्राद्धादि को कर्मकांड समझा जाता है।

कर्मकांड क्या है - Karmkand kya hai
कर्मकांड क्या है – Karmkand kya hai
  • परिणाम के दृष्टिकोण से सुकर्म और कुकर्म अथवा सत्कर्म और दुष्कर्म।
  • कामना के दृष्टिकोण से सकाम और निष्काम।
  • आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कर्म के ३ प्रकार हैं : नित्यकर्म, नैमित्तिककर्म और काम्यकर्म।
  • दृष्टिकोण भेद से और भी कई प्रकार हैं; लेकिन जब भी कर्म कर्मकांड शब्द के सम्बन्ध में प्रयुक्त होता है; तो उसका तात्पर्य आध्यात्मिक दृष्टिकोण ही होता है (नित्यकर्म-नैमित्तिककर्म और काम्यकर्म) !

कर्मकांड पृष्ठ पर जाने के लिये यहां क्लिक करें।

काण्ड क्या है ?

कांड से भी कई का बोध होता है – खंड, भाग, घटना आदि। जैसे रामायण को सात खण्डों या भागो में बांटा गया है और उसे कांड कहा गया है : बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुन्दरकाण्ड, लंकाकांड, उत्तरकांड।

वैसे तो प्रत्येक घटना ही कांड की श्रेणी में आते हैं किन्तु जो विशेष घटना होती है उसे दूर-दूर तक कांड कहा जाता है! जैसे कश्मीर कांड, कैराना कांड, मथुराकांड, निर्भयाकांड, अख़्लाककाण्ड, मणिपुर कांड इत्यादि। इसमें हम एक समानता देख रहे हैं की सभी बुरी घटना है या आपराधिक। इसके कारण यह है कि पुलिस के यहाँ हर घटना कांड कहलाती है।

कर्मकांड क्या है
काण्ड क्या है ?

नए वर्गीकरण में हम कंप्यूटर के हार्डडिस्क को कई भागों (C-D-E-F-G-H ड्राइवों) में बांटते इन्हें भी एक कांड ही माना जायेगा ; मोबाइल की स्मृति (मेमोरी) में कई फोल्डर होते हैं : म्यूज़िक, वीडियो, पिक्चर इत्यादि; इसे भी कांड ही कहा जायेगा।

जब हम आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अर्थात शास्त्रीय आधार से धर्म के सम्बन्ध में बात करेंगे तो यहाँ भी कांड का तात्पर्य एक खंड होगा।

अब हम कर्मकांड परिभाषा के विषय चर्चा कर सकते हैं ! कर्मकांड से संबधित विशेष जानकारी आप इस वडियो में भी देख सकते हैं।  

कर्मकांड क्या है ?

वेद के तीन काण्ड हैं : ज्ञान काण्ड, उपासना/भक्ति काण्ड, और कर्मकाण्ड । अध्यात्म/वेद (किन्तु केवल अध्यात्म नहीं होकर जीवन निर्वहन से भी सम्बंधित है) के भी कई भाग किये गए हैं : ज्ञान, भक्ति, कर्म, योग इत्यादि। कर्म भी अध्यात्म/जीवन का एक भाग है इस कारण एक कांड है। अर्थात 

परिभाषा : “लौकिक एवं पारलौकिक सुख/उन्नति की प्राप्ति के लिए श्रुति-स्मृति द्वारा अनुमोदित कर्ममार्ग का विधान कर्मकाण्ड है।”

सारांश : कर्मकांड से पहले ‘कर्म’ और ‘कांड’ को समझना जरूरी है। कर्म जीवन में हमारे द्वारा किए गए सभी कार्य हैं, जो अनेक दृष्टीकोणों से विश्लेषित किए जा सकते हैं। ‘कांड’ हमारे द्वारा किए गए कार्यों के खंड, भाग या घटना होते हैं। ‘कर्मकांड’ में, ‘कर्म’ अध्यात्मिकता का एक खंड होता है और इस खंड के विधान को ‘कर्मकांड’ कहते हैं। इसका उद्देश्य लौकिक और पारलौकिक सुख की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करना है।

F & Q :

प्रश्न : क्या सभी को कर्म करना पड़ता है?
उत्तर : हाँ; सभी को कर्म करना ही परता है। बिना कर्म किये कोई नहीं रह सकता।

प्रश्न : कर्म क्या है ?
उत्तर : हम जो कुछ भी करते हैं यहाँ तक कि साँस लेना वह भी कर्म है।

प्रश्न : काण्ड क्या है ?
उत्तर : किसी घटना, खण्ड या भाग को काण्ड कहा जाता है।

प्रश्न : क्या कर्मकांड केवल पूजा-पाठ करना है ?
उत्तर : नहीं; उठने से सोने तक सभी कर्मों की शास्त्रोक्त विधि कर्मकाण्ड है।

प्रश्न : कर्मकाण्डी किसे कहते हैं ?
उत्तर : शास्त्रोक्त विधि से कर्म सम्पादित कराने वाले ब्राह्मण को कर्मकाण्डी कहते हैं।

प्रश्न : क्या कर्मकाण्डी केवल ब्राह्मण ही बन सकता है ?
उत्तर : हाँ, शास्त्र का अध्ययन तो सभी कर सकते हैं, किन्तु कमर्काण्ड का संपादन सुयोग्य ब्राह्मण द्वारा ही कराया जाना चाहिये, दान-दक्षिणा आदि ब्राह्मण को ही देना चाहिये। कोई भी कर्म ब्राह्मण भोजन-दान-दक्षिणा के बाद ही सम्पूर्ण होता है अतः केवल ब्राह्मण ही कर्मकाण्डी हो सकता है।

प्रश्न : फिर करम प्रधान विश्व करि राखा का क्या अर्थ है ?
उत्तर : इस अर्द्धाली का उत्तर अगली अर्द्धाली में ही दिया गया है – जो जस करहिं सो तस फल चाखा। अर्थात विश्व कर्मप्रधान है और जो कुछ भी सुख-दुःख मिलता है वह कर्म का ही फल होता है। जिसका जैसा कर्म होता है उसे फल भी वैसा ही प्राप्त होता है।

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