इस आलेख में कुष्माण्ड दान विधि की जानकारी दी गयी है। अक्षय नवमी के दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है और इस दिन कुष्माण्ड दान का अतिरिक्त महत्व होता है। इस आलेख में कुष्मांड दान विधि भी बताई गयी है।
अक्षय नवमी कब है ?
अक्षय नवमी का सनातन में बहुत ही विशेष महत्व है। इस दिन स्नान, दान, पूजा आदि पुण्य कामना से किये जाते हैं। इस वर्ष 2024 में अक्षय नवमी 10 नवम्बर रविवार को है। इस दिन कूष्माण्ड दान की एक विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की गई है जिसकी यहाँ चर्चा की जाएगी और साथ ही पूरी विधि एवं मंत्र भी बताई जायेगी।
कोहरा क्या है ?
वैसे कुहासे को भी कोहरा कहा जाता है। किन्तु हम जिस कोहरे की चर्चा यहाँ करेंगे उसका अन्य नाम इस प्रकार है – कूष्माण्ड, भुआ, पेठा, कुम्हर। यह बेल (लता) में उगने वाला फल/सब्जी है।
अक्षय नवमी से इसका (कोहरे का) क्या संबंध है ?
सूर्य ग्रहण में, कुरुक्षेत्र में, तुलादान में जितना पुण्य प्राप्त होता है शास्त्रों द्वारा अक्षय नवमी के दिन सविधि कूष्माण्ड दान में उतना ही पुण्य घोषित किया गया है। महापातक – उपपातक एवं अन्य पापों का भी इससे शमन होता है। पुत्र, पौत्र, श्री, सौभाग्य आदि की अभिवृद्धि में यह पुण्य सहायक होता है और कूष्माण्ड में जितने बीज होते हैं उतने हजार वर्षों तक ब्रह्मलोक में निवास का भी फल बताया गया है।
कूष्माण्ड दान या कोहरा दान करने की विधि और मंत्र क्या है ?
नित्यकर्मादि से निवृत्त होकर मण्डलकृत भूमि पर अथवा धातृवृक्ष की छाया में सभी सामग्रियों को लेकर व्यवस्थित करे। सर्वप्रथम पवित्रीकरण करके एक गोधूम (गेहूं) का पुंज (ढेर) बनाये। फिर कूष्माण्ड को कहीं से थोड़ा काटकर उसमें स्वर्ण, रत्न (या मूल्य) देकर पुनः कटे भाग को भी प्रविष्ट कर दे। तत्पश्चात लाल कपड़े में लपेट कर गोधूम राशि (गेहूं के ढेर) पर रखे। पुनः किसी पत्ते पर ब्राह्मण बटु (कुशात्मक त्रिकुशा) उत्तराग्र रखे।
- इसके बाद अक्षत-पुष्प-चंदन लेकर पहले तीन बार कूष्माण्ड की पूजा करे जिसका मंत्र है – ओं (एतावद्रव्यमूलक) मुक्ता प्रवाल रत्न हेम फल ताम्बूल वस्त्रादियुत गोधूमराशिस्थित कूष्माण्डाय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात अक्षत-पुष्प-चन्दन आदि से 3 बार ब्राह्मण (या कुशात्मक) की इस मंत्र से पूजा करे – ओं ब्राह्मणाय नमः ॥३॥
- तत्पश्चात त्रिकुशा, तिल, जल लेकर उत्सर्ग करे : ओं अद्य कार्तिकमासीयशुक्लपक्षीयाक्षयनवम्यां तिथौ …….. गोत्रस्य ……… शर्मणः सूर्यग्रहे कुरुक्षेत्रे तुलादान फलसम फलप्राप्तिपूर्वक ब्रह्महत्यादि सकल महापातकोपपातकक्षयपूर्वक बहुपुत्रपौत्र श्री सौभाग्यादि सकलमनोरथावाप्तिपूर्वक कूष्माण्डबीजसमसंख्यकवर्ष सहस्रावच्छिन्नाक्षय ब्रह्मलोकनिवासकामनया इदं कूष्माण्डफलं मुक्ता प्रवाल रत्न हेम फल ताम्बूल वस्त्रादियुतं गोधूमराशिस्थितं वनस्पतिदैवतं यथानामगोत्राय ब्राह्मणायाऽहं ददे ॥
तत्पश्चात इस मंत्र को पढ़कर ब्राह्मण की प्रार्थना करे : ओं ब्रह्महत्यादि पापघ्नं ब्रह्मणा निर्मितं पुरा । कूष्माण्डं बहुबीजाक्ष्य पुत्र पौत्रादि वृद्धिदम् ।। मुक्ताप्रवालहेमादि युक्तं दत्तं तव द्विज । अनन्त पुण्य फलदमतः शान्ति प्रयच्छ मे ॥
तत्पश्चात इस मंत्र से कूष्माण्ड दान की सफलता हेतु दक्षिणा दे :
दक्षिणा मंत्र – ओमद्य कृतैतत्सोपकरण कुष्माण्डदान प्रतिष्ठार्थं एतावद्रव्य मूल्यकं हिरण्यमग्निदैवतं यथानाम गोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ।
पुनः ब्राह्मण से क्षमा याचना करके आशीर्वाद प्राप्त करे।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।