कुम्भ विवाह की विधि – कुम्भ विवाह पद्धति pdf सहित

कुम्भ विवाह की विधि – कुम्भ विवाह पद्धति pdf सहित

विशेष लाभ हेतु यहां परिवर्धित मङ्गलाष्टक भी दिया गया है :

कन्यादान

फिर दानकर्ता कन्यादान का हाथ में संकल्प द्रव्य लेकर संकल्प करे :

ॐ गौरीं कन्यामिमांश्लक्ष्णां यथाशक्ति विभूषितां।
ददामिविष्णवे तुभ्यं सौभाग्यं देहि सर्वदा ॥

इस प्रकार कन्यादान करके कन्यादान की दक्षिणा करे :

फिर कन्या को कुम्भ के दक्षिण भाग में बैठकर ग्रंथिबंधन करे और अन्य विवाहविधि संपन्न करे। फिर कुङ्कुमादि से अलंकृत पंचसूत्री से कुम्भ और कन्या को १० बार वेष्टित करे :

तुलसी विवाह विधि : Tulsi vivah vidhi

फिर कुछ काल रुककर सूत्रावेष्टित कलश को बाहर निकाल कर जलाशय में विसर्जित कर दे। फिर आचार्य शुद्ध जल लेकर कन्या का पञ्चपल्लवादि से कन्या का अभिषेक करे ।

फिर कन्या अन्य वस्त्रादि धारण करके आये। आचमन (जलस्पर्श) करके विष्णु-वरुण प्रतिमा और विवाह काल में धारण किया हुआ वस्त्रादि का उत्सर्ग करे, यह दान कन्या स्वयं करे :

फिर अभिषेक-आशीर्वाद ग्रहण करे। कन्या ब्राह्मण से कहे : अनघाद्याहमस्मि ॥ ब्राह्मण कहें – एवमस्तु ॥ – ऐसा तीन बार करे।

यदि भूयसी दक्षिणा करनी हो तो करे। ब्राह्मण भोजनादि कराये।

कुम्भ विवाह पद्धति pdf डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


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