भगवान शिव और पार्वती का विवाह फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को हुआ था और इसी कारण इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि व्रत १४ वर्षों तक करना चाहिए। इस व्रत में रात के चारों पहर भगवान भोलेनाथ की पूजा की जाती है, रात्रिजागरण, नृत्य-गीत, मन्त्र जप, स्तोत्र पाठ आदि करना चाहिए। इस आलेख में हम महाशिवरात्रि महोत्सव में शिवालयों में होने वाली विशेष पूजा की विधि और मंत्र दी गयी है एवं साथ ही साथ जो वेदोक्त मंत्रों से पूजा करना चाहते हैं उनके लिये वैदिक शिव पूजा विधि भी दिया गया है।
महाशिवरात्रि पूजा विधि – mahashivratri puja vidhi
जिनको धन की कमी न हो उनके लिये मदनरत्न विशेष विधि भी कही गई है : हैमींमूर्तिंसंपूज्य स्थिरंचरं वा लिंगं पंचामृत सहस्र-शत-पंचाशत्तदर्धान्यतरकुंमैः संस्नाप्य-संपूज्य जागरंकृत्वा परेद्युस्तिलान्सहस्रं–शतं वा हुत्वा विप्रेभ्योवस्त्राणि-द्वादशगाश्च दत्वा आचार्याय-धेनुं-शय्यां च दत्वा विप्रान्भोजयेत् ॥
(अपने सामर्थ्यानुसार) सुवर्ण निर्मित प्रतिमा की करके स्थिर अथवा चर लिङ्ग का सहस्र-शत–अर्द्धशत या 25 पञ्चामृत घटों से अभिषेक करे। पूजा जागरण आदि पूर्वक अगले दिन तिलों से सहस्राहुति या शताहुति होम करके ब्राह्मणों को वस्त्र, १२ गाय आदि दान करे और आचार्य को गौ-शय्या आदि दान करके ब्राह्मणों को भोजन कराए । महाशिवरात्रि व्रत कथा
महाशिवरात्रि व्रत के नियम
महाशिवरात्रि पूजा भी महाशिवरात्रि व्रत का ही अंग है इसलिये पूजा विधि के साथ महाशिवरात्रि व्रत के नियमों को समझना भी आवश्यक है।
जो पहली बार महाशिवरात्रि व्रत का आरम्भ करेंगे उनको प्रातःकाल ही एक संकल्प करना चाहिए, परंतु वो संकल्प पहली बार ही कर्तव्य है और जो काम्य (१४ वर्षों तक करेंगे उनके लिये अलग व आजीवन करने वालों के लिये अलग होता है) इसलिए नहीं दिया जा रहा है। व्रत के दिन प्रतिवर्ष यह संकल्प प्रातःकाल ही कर लेना चाहिए :
- व्रत के एक दिन पहले ही व्रत का नियम ग्रहण कर लेना चाहिये। व्रत के नियम की जानकारी गुरु या विद्वान ब्राह्मण से लेनी चाहिये।
- किसी भी धार्मिक कृत्य के लिये फल प्राप्ति हेतु गुरु या विद्वान ब्राह्मण की आज्ञा, व्रत के नियम की जानकारी, पूजा विधि की जानकारी आवश्यक होती है।
- किसी भी धर्माचरण के लिये प्रमाण धर्मशास्त्रों में ही रहता है और उसकी जानकारी विद्वान ब्राह्मण द्वारा लेने से उसमें फलसिद्धि का रहस्य छुपा रहता है।
- व्रत के पूर्वदिन शुद्ध अन्न से एकभुक्त करना चाहिये।
- सर्वप्रथम प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में जगकर प्रातः स्मरण और नित्य कर्म करना चाहिये। इसे समझना इसलिये विशेष आवश्यक है कि पूजा रात में ही होती है इसीलिये अधिकांशतः रात में ही स्नान भी करते हैं जिससे नित्य कर्म का लोप हो जाता है।
- नित्य कर्म किये बिना नैमित्तिक और काम्य कर्मों को करने का अधिकार ही प्राप्त नहीं होता है। नित्य कर्म अनिवार्य होता है इसलिये प्रातः काल नित्यकर्म अवश्य ही करना चाहिये। – नित्य कर्म पूजा पद्धति
- नित्य कर्म में प्रातः स्मरण, शारीरिक शुद्धि, संध्या-तर्पण, पंचदेवता और विष्णु की पूजा आदि कर्म आते हैं। संध्या तर्पण विधि
- नित्य कर्म करने के बाद प्रातः काल ही व्रत का संकल्प करना चाहिये।
- संकल्प वाक्य (मंत्र) पढाने के लिये ब्राह्मण को अवश्य आमंत्रित करना चाहिये। मंत्रों को ब्राह्मण के अधीन बताया गया है और जब तक ब्राह्मण द्वारा मंत्र न पढाया जाय तब तक केवल वाक्य संज्ञक ही होता है क्योंकि उसमें मंत्रत्व सिद्धि नहीं हो सकती। मंत्रत्व शक्ति तभी संभव है जब ब्राह्मण द्वारा प्राप्त हो अर्थात् पढाया जाय।
- किसी भी व्रत का तात्पर्य उपवास (अन्न-जल त्याग) मात्र नहीं होता है । व्रत का तात्पर्य उपवास, व्रत के अधिष्ठात्रि देवता की पूजा – अर्चना, हवन और दान एवं दक्षिणा के साथ-साथ सम्पूर्णता के लिये ब्राह्मण भोजन कराना।
- साथ ही साथ व्रती के लिये कई निषेध भी शास्त्रों में बताया गया है जैसे क्रोध न करना, असत्य भाषण न करना, पापियों से वार्तालाप नहीं करना, दिन में नहीं सोना, परिश्रम न करना इत्यादि। ये सभी व्रत के सामान्य नियम हैं जिसका सभी व्रतों में 3 दिन पालन करना अनिवार्य होता है।
- सभी व्रतों की सम्पूर्णता के लिये पारण से पहले ब्राह्मण भोजन कराना आवश्यक होता है। पूजा में प्रयुक्त सामग्री एवं और दान दक्षिणा से ब्राह्मण को संतुष्ट करने में ही ईश्वर की संतुष्टि छिपा होता है।
महाशिवरात्रि व्रत संकल्प
“ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः अद्यैतस्य मासोत्तमे मासे फाल्गुने मासे कृष्णेपक्षे चतुर्दश्यां तिथौ ………… वासरे ………… गोत्रोत्पन्नः ………… शर्माऽहं (वर्माऽहं/गुप्तोऽहं वर्णानुसार) ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवव्रतमहं करिष्ये ॥”
रात के पहले पहर (प्रदोष काल) में पूजा की तैयारी करके घर या शिवमन्दिर जहां भी पूजा करनी हो आसन पर बैठ कर पवित्रीकरण , गणपत्यादि पंचदेवता और भगवान विष्णु की पंचोपचार पूजा, स्वस्तिवाचन आदि करके पुनः संकल्प करें । विस्तृत विधि से पवित्रीकरण आदि अन्य आलेखों में वर्णित है जिसका लिंक ऊपर दिया गया है । लेकिन आवश्यकता के कारण यहां संक्षिप्त रूप से पवित्रीकरणादि भी दिया जा रहा है :-
- पवित्रीकरण मंत्र : ॐ अपवित्रः पवित्रोऽवा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा यः स्मरेत्पुण्डरीकाक्षं स बाह्याऽभ्यन्तरः शुचि: । पुण्डरीकाक्षः पुनातु । ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥
- आचमन मंत्र : ॐ केशवाय नमः । ॐ माधवाय नमः । ॐ नारायणाय नमः । तीन बार आचमन करके ओठों को अंगुष्ठमूल से पोंछकर हाथ धो लें – ॐ हृषीकेशाय नमः ॥
- आसनशुद्धि मंत्र : ॐ पृथिवी त्त्वया धृता लोका देवी त्वम् विष्णुना धृता । त्वम् च धारय मां देवी पवित्रं कुरु चासनम् ॥
- दिग्बंधन मंत्र : ॐ अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः । ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥ बांयें हाथ पीली सरसों लेकर दाहिने हाथ से ढंककर अभिमंत्रित करे, तत्पश्चात दशों दिशाओं में छिड़काव करना चाहिए।
- रक्षाबंधन या मौली बांधना : ॐ येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः । तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥ इस मंत्र से रक्षासूत्र बांधे।
पंञ्चदेवता पूजन :–
- अक्षत : इदं अक्षतं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवता: इहागच्छत इह तिष्ठत ॥
- जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
- फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
- अक्षत : इदं अक्षतं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
- जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
- जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
- फूल : पुष्पांजलिं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नमः॥
- विसर्जन : ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवता: पूजितास्थ प्रसीदत प्रसन्ना: भवत छमध्वं स्व-स्व स्थानं गच्छत॥
विष्णु पूजन मंत्र :–
- तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ॥
- जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- तुलसी : एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- फूल : पुष्पांजलिं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः॥
- विसर्जन : ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् विष्णो पूजितोसि प्रसीद प्रसन्नो भव छमस्व स्व स्थानं गच्छ ॥
फिर संकल्प द्रव्य – त्रिकुशा, पान, सुपारी, तिल, जल, पुष्प, चंदन, द्रव्य आदि लेकर संकल्प करे :
पूजा संकल्प मंत्र
ॐ अस्यां रात्रौ मासानां मासोत्तमे फाल्गुने मासे कृष्णे पक्षे चतुर्दश्यां तिथौ ………… वासरे ……….. गोत्रस्य मम श्री ……….. शर्मणः/वर्मणः/गुप्तः (सपत्नीकः) सपरिवारस्य ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये दीर्घायु शरीरारोग्य कामनया धन-धान्य-बल-पुष्टि-कीर्ति-यश लाभार्थं, सकल मनोरथ सिध्यर्थं श्रुति स्मृति पुराणतन्त्रोक्त फलप्राप्त्यर्थं शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये ॥
दशदिक्पाल, नवग्रह, शिवपरिवार आदि की पूजा करके पूजा विधि के अनुसार भी पूजा की जा सकती है।
संक्षिप्त दशदिक्पाल व नवग्रह पूजन विधि मंत्र :
दश-दिक्पाल : इदं अक्षतं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीइन्द्रादि दशदिक्पालाः इहागच्छत इह तिष्ठत ॥ आवाहन करके सभी वस्तुओं से पूजा करें, पूजन मंत्र – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीइन्द्रादि दशदिक्पालेभ्यो नमः॥ एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीय-पुनराचमनीयानि ० , इदमनुलेपनं ०, इदमक्षतं०, इदं पुष्पं०, एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल यथाभागं नैवेद्यं०, इदमाचमनीयं ०, इदं दक्षिणा-द्रव्यं०, एष पुष्पाञ्जलिः – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीइन्द्रादि दशदिक्पालेभ्यो नमः॥
नवग्रह : इदं अक्षतं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहाः इहागच्छत इह तिष्ठत ॥ आवाहन करके सभी वस्तुओं से पूजा करें, पूजन मंत्र – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः॥ एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीय-पुनराचमनीयानि ० , इदमनुलेपनं ०, इदमक्षतं०, इदं पुष्पं०, एतानि गन्ध-पुष्प-धूप-दीप-ताम्बूल यथाभागं नैवेद्यं०, इदमाचमनीयं ०, इदं दक्षिणा-द्रव्यं०, एष पुष्पाञ्जलिः – ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीसूर्यादि नवग्रहेभ्यो नमः॥
फिर गणेशादि देवताओं की पूजा शिवपूजन विधि के अनुसार करे :
यदि घर में नये शिवलिंग या पार्थिव प्रतिमा की पूजा करनी हो तो पहले प्राण-प्रतिष्ठा करें : ॐ मनो जूतिर्जुषतामाज्यस्य बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टंयज्ञ ᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवास इह मादयन्तामों ३ प्रतिष्ठ ॥ ॐ ह्रीं भूर्भुवःस्वः भगवन् शिव इहागच्छहातिष्ठ ॥
(पूर्व प्रतिष्ठित प्रतिमा या लिङ्ग में पुनः प्रतिष्ठा न करे)
महाशिवरात्रि की विशेष पूजा विधि
पुष्प-बिल्वपत्र-अक्षत लेकर भगवान शिव का ध्यान करें :
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरि निभं चारु चन्द्रावतंसम् ।
रत्नाकल्पोज्ज्वलांगं परशुमृगवराभीति हस्तं प्रसन्नम् ॥
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृतिं वसानम् ।
विश्वाद्यं विश्ववन्द्यं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम् ॥
ध्यानपुष्पं ॐ शिवाय नमः॥
सर्वप्रथम सर्वौषधिस्नान कराये। इसके बाद प्रत्येक वस्तु से भगवान को स्नान कराये :
- दूध (ईशानवक्त्र) :- ॐ हौं ईशानाय नमः॥ – ३ बार
- दही (पूर्ववक्त्र) :- ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः॥ – ३ बार
- घृत (दक्षिणवक्त्र) :- ॐ हूँ अघोराय नमः॥ – ३ बार
- मधु (पश्चिमवक्त्र) :- ॐ हीं सद्योजाताय नमः॥ – ४ बार
- शक्कर (उत्तरवक्त्र) :- ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥ – ५ बार
- पुनः प्रत्येक मन्त्र से सर्वौषधिस्नान भी कराये।
फिर पंचवक्त्र का अलग-अलग आवाहन करके पंचोपचार या षोडशोपचार आदि विधि से पूजन करे। यहां सामान्य विधि दे रहे हैं :-
ईशानवक्त्र आवाहन : ॐ हौं ईशान इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ आवाहन करने के बाद अर्घ्य प्रदान करे :
- अर्घ मन्त्र :- ॐ नमस्ते देव देवेश नमस्ते मोक्षदायिने। ईशानाय नमस्तुभ्यं अर्घोऽयं प्रतिगृह्यतां ॥
- एतानि पाद्यादीनि – एषोऽर्घः ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- चन्दन – इदं चन्दनं ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- पुष्प – इदं पुष्पं ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- अक्षत – इदं अक्षतं ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- धूप – एष धूपः ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- दीप – एष दीपः ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- नैवेद्य – एतानि नैवेद्यानि ॐ हौं ईशानाय नमः॥
- जल – आचमनीयं-पुनराचमनीयं ॐ हौं ईशानाय नमः॥
पूर्ववक्त्र आवाहन : ॐ हैं तत्पुरुष इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ आवाहन करने के बाद अर्घ्य प्रदान करे :
- अर्घ मन्त्र :- ॐ नमस्तुभ्यं विरूपाक्ष नमस्ते दितिजान्तक। तत्पुरुषाय नमस्तुभ्यं अर्घोऽयं प्रतिगृह्यतां ॥
- एतानि पाद्यादीनि – एषोऽर्घः ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- चन्दन – इदं चन्दनं ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- पुष्प – इदं पुष्पं ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- अक्षत – इदं अक्षतं ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- धूप – एष धूपः ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- दीप – एष दीपः ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- नैवेद्य – एतानि नैवेद्यानि ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
- जल – आचमनीयं-पुनराचमनीयं ॐ हैं तत्पुरुषाय नमः ॥
दक्षिणवक्त्र आवाहन : ॐ हूँ अघोर इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ आवाहन करने के बाद अर्घ्य प्रदान करे :
- अर्घ मन्त्र :- ॐ नमस्ते शूलहस्ताय नमस्ते दण्डपाणये। अघोराय नमस्तुभ्यं अर्घोऽयं प्रतिगृह्यतां ॥
- एतानि पाद्यादीनि – एषोऽर्घः ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- चन्दन – इदं चन्दनं ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- पुष्प – इदं पुष्पं ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- अक्षत – इदं अक्षतं ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- धूप – एष धूपः ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- दीप – एष दीपः ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- नैवेद्य – एतानि नैवेद्यानि ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
- जल – आचमनीयं-पुनराचमनीयं ॐ हूँ अघोराय नमः ॥
पश्चिमवक्त्र आवाहन : ॐ हीं सद्योजात इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ आवाहन करने के बाद अर्घ्य प्रदान करे :
- अर्घ मन्त्र :- ॐ नमस्ते सद्योजाताय नमः कैलासवासिने। सद्योजात नमस्तुभ्यं अर्घोऽयं प्रतिगृह्यतां॥
- एतानि पाद्यादीनि – एषोऽर्घः ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- चन्दन – इदं चन्दनं ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- पुष्प – इदं पुष्पं ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- अक्षत – इदं अक्षतं ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- धूप – एष धूपः ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- दीप – एष दीपः ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- नैवेद्य – एतानि नैवेद्यानि ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
- जल – आचमनीयं-पुनराचमनीयं ॐ हीं सद्योजाताय नमः ॥
उत्तरवक्त्र आवाहन : ॐ हाँ वामदेव इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ आवाहन करने के बाद अर्घ्य प्रदान करे :
- अर्घ मन्त्र :- ॐ नमस्ते वामदेवाय शर्वाय शशिशेखर। पापशुध्यर्थमर्घोऽयं गिरीशं प्रतिगृह्यतां ॥
- एतानि पाद्यादीनि – एषोऽर्घः ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- चन्दन – इदं चन्दनं ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- पुष्प – इदं पुष्पं ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- अक्षत – इदं अक्षतं ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- धूप – एष धूपः ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- दीप – एष दीपः ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- नैवेद्य – एतानि नैवेद्यानि ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
- जल – आचमनीयं-पुनराचमनीयं ॐ हाँ वामदेवाय नमः॥
मध्य में आवाहन : ॐ भूर्भुवः स्वः हौं भगवन् शिव इहागच्छ इहतिष्ठ ॥ आवाहन करने के बाद अर्घ्य प्रदान करे :
- अर्घ मन्त्र :- ॐ नमस्ते वामदेवाय शर्वाय शशिशेखर। पापशुध्यर्थमर्घोऽयं गिरीशं प्रतिगृह्यतां ॥
- एतानि पाद्यादीनि – एषोऽर्घः ॐ हौं शिवाय नमः॥
- चन्दन – इदं चन्दनं ॐ हौं शिवाय नमः॥
- पुष्प – इदं पुष्पं ॐ हौं शिवाय नमः॥
- बिल्वपत्र – इदं बिल्वपत्रं ॐ हौं शिवाय नमः॥
- अक्षत – इदं अक्षतं ॐ हौं शिवाय नमः॥
- धूप – एष धूपः ॐ हौं शिवाय नमः॥
- दीप – एष दीपः ॐ हौं शिवाय नमः॥
- नैवेद्य – एतानि नैवेद्यानि ॐ हौं शिवाय नमः॥
- जल – आचमनीयं-पुनराचमनीयं ॐ हौं शिवाय नमः॥
तत्पश्चात जितने वस्त्रादि पूजा द्रव्य उपलब्ध हो पाये हों उन सभी द्रव्यों को अर्पित करते हुये विस्तृत पूजा करें। अभिषेक करना हो तो अभिषेक भी करे। श्रृंगार भी करें।
- पाद्य – ॐ शम्भोगङ्गादितीर्थेभ्यो मया प्रार्थनयाहृतम् । तोयमेतत् सुखस्पर्शं पाद्यार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं पाद्यं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- अर्घ्य – ॐ वरेण्य यज्ञपुरुष प्रजापालनतत्पर । नमो माहात्म्यदेवाय गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ॥ इदमर्घ्यं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- आचमन – ॐ पाटलोशीरकर्पूरसुरभिः स्वादु शीतलम् । तोयमाचमनीयार्थं शङ्कर प्रतिगृह्यताम् ॥ इदमाचमनीयं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- स्नान – ॐ मन्दाकिन्याः समानीतं हेमाम्भोरुहवासितम् । स्नानाय ते मया भक्त्या नीरं स्वीक्रियतां प्रभो ॥ इदं स्नानीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- पञ्चामृत – ॐ पयो दधि घृतं चैव मधु शर्करयान्वितम् । पञ्चामृतेन स्नपनं प्रीत्यर्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं पञ्चामृतस्नानीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- शुद्धोदक – ॐ किरणा धूतपापा च पुण्यतोया सरस्वती । मणिकर्णिजलं शुद्धं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं शुद्धोदकं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- आचमन – इदमाचनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- वस्त्र – ॐ सूक्ष्मतन्तुसमाकीर्णं नानावर्णविचित्रितम् । वस्त्रं गृहाण मे देव प्रीत्यर्थं तव निर्मितम् ॥ इदं वस्त्रं बृहस्पतिदैवतम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- यज्ञोपवीत – ॐ महादेव नमस्तेऽस्तु त्राहि मां भवसागरात् । ब्रह्मसूत्रं सोत्तरीयं गृहाण परमेश्वर ॥ इमे यज्ञोपवीते बृहस्पतिदैवते ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- आचमन – इदमाचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- चन्दन – ॐ मलयाचलसम्भूतं घनसारमनोहरम् । हृदयानन्दनं चारु चन्दनं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं श्रीखण्डचन्दनम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- अक्षत – ॐ अखण्डानक्षतान् शुक्लान् शोभनान् शालितण्डुलान् । त्राहि मां सर्वपापेभ्यो गृहाण वृषभध्वज ॥इदमक्षतम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- पुष्प – ॐ माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो । मयाहृतानि पुष्पाणि पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ॥ एतानि पुष्धाणि ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- माला – इदं पुष्पमाल्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- बिल्ववत्र – ॐ त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रस्य सदा प्रियम् । बिल्वपत्रं प्रयच्छामि त्र्यम्बकाय नमोऽस्तु ते ॥ एतानि बिल्वपत्राणि ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
अङ्गपूजा
- ॐ विश्वपतये नमः, पादौ पूजयामि॥
- ॐ शिवाय नमः, जानुनी पूजयामि॥
- ॐ शूलपाणये नमः, गुल्फौ पूजयामि॥
- ॐ शम्भवे नमः, कटिं पूजयामि॥
- ॐ स्वयम्भुवे नमः, गुह्य पूजयामि॥
- ॐ महादेवाय नमः, नाभिं पूजयामि॥
- ॐ विश्वकर्त्रे नमः, उदरं पूजयामि॥
- ॐ सर्वतोमुखाय नमः, पार्श्वौ पूजयामि॥
- ॐ स्थाणवे नमः, स्तनौ पूजयामि॥
- ॐ नीलकण्ठाय नमः, कण्ठं पूजयामि॥
- ॐ श्रीकण्ठाय नमः मुखं पूजयामि॥
- ॐ शशिभूषणाय नमः मुकुटं पूजयामि॥
- ॐ देवाधिदेवाय नमः, सर्वाङ्गं पूजयामि॥
- धूप – ॐ वनस्पतिरसो दिव्यो गन्धाढ्यः सुमनोहरः । आत्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम् ॥ एष धूपः ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- नैवेद्य – ॐ अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षड्भिः समन्वितम् । भक्ष्यभोज्यसमायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं नैवेद्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- आचमन – पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- करोद्वर्तन – ॐ मलयाचल सम्भूत कर्पूरेण समन्वितम् । करोद्वर्तनकं चारु गृह्यतां जगतः पते ॥ इदं करोद्वर्तनार्थे गन्धं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- ताम्बूल – ॐ पूगीफलसमायुक्तं नागवल्लीदलैर्युतम् । कर्पूरादिसमायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदं ताम्बूलं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- दक्षिणाद्रव्य – ॐ हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः । अनन्तपुण्य फलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे ॥ इदं दक्षिणार्थं द्रव्यम् ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- आरति – ॐ चन्द्रादित्यो च धरणी विद्युदग्निस्तथैव च । त्वमेव सर्वज्योतीष्यारार्तिक्यं प्रतिगृह्यताम् ॥ इदमारार्तिकं ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
- प्रदक्षिणा – ॐ यानि कानि च पापानि ब्रह्महत्यासमानि च । तानि तानि प्रणश्यन्तु प्रदक्षिण पदे पदे ॥ प्रदक्षिणां ॐ भूर्भुवः स्वः श्रीगौरीशङ्कराभ्यां नमः॥
नमस्कार
ॐ नमः शिवाय शान्ताय पञ्चवक्त्राय शूलिने । नन्दिभृङ्गमहाकालगण्युक्ताय शम्भवे ॥
नमस्ते सर्वदीपात्मन् निमेषत्रुटिसम्भव । जन्ममृत्यु जराव्याधि संसारभयनाशन ॥
नमस्ते देव देवेश नमस्ते घरणीधर । नमस्ते विश्वरूपाय नमस्ते पुरषोत्तम ॥
संसारार्णवमग्नं च त्राहि मां वृषभध्वज । हराय च नमस्तुभ्यं त्रैलोक्यव्यापिने नमः ॥
भगवान शिव को पाग आदि देकर वररूप में शृंगार भी किया जाता है एवं पार्वती का कन्या रूप में भी आभूषण-वस्त्रादि देकर भी पूजन करके ग्रंथिबंधन का व्यवहार भी देखा जाता है।
फिर कथा श्रवण-भजन-नृत्य-गान-स्तोत्र पाठ आदि करें।
१ प्रहर (३ घंटा) बाद पुनः द्वितीय अर्घ दें :-
चारों प्रहर की पूजा
महाशिवरात्रि के रात में भगवान शिव की चारों प्रहर में पूजा करने की विधि कही गयी है। प्रथम प्रहर की पूजा विधि ऊपर वर्णित है। अगले तीन प्रहरों में भी उपरोक्त सामग्रियों से शिवपूजन करे। तीनों प्रहर के अर्घ्य मन्त्र अलग बताये गये हैं जो नीचे दिया गया है :
द्वितीय अर्घ्य मंत्र
ॐ मया कृतान्यनेकानि पापानि हर शंकर। गृहाणार्घ्यमुमाकान्त शिवरात्रौ प्रसीद मे ॥
अर्घ्य देकर पुनः पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजन करे।
तृतीय अर्घ्य मंत्र
पुनः १ पहर यानि अगले ३ घंटे बाद तृतीय अर्घ दें :-
ॐ दुःखदारिद्र्य दग्धोऽहं भगवन् पार्वतीपते। गृहाणार्घ्यं मया दत्तं शिवरात्रौ च मे शिव॥
अर्घ्य देकर पुनः पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजन करे।
चतुर्थ अर्घ्य मंत्र
पुनः १ पहर यानि ३ घंटे बाद चतुर्थ अर्घ दें :-
ॐ शिवरात्रौ ददाम्यर्घं सर्वपाप विमोचनं। शिव प्रसीद मे भक्त्या प्रसादादुमया सह ॥
अर्घ्य देकर पुनः पञ्चोपचार या षोडशोपचार पूजन करे।
प्रत्येक प्रहर में यथोपलब्ध वस्तुओं से भी पूजन करे। अंत में हवन करना हो तो हवन विधि के अनुसार सहस्राहुति-शताहुति (१००८ या १०८ आहूति) हवन करके, यदि मिट्टी की प्रतिमा या शिवलिंग हो तो पुष्पांजलि देकर विसर्जन कर दे।
दक्षिणा
फिर ब्राह्मण को दक्षिणा दे :
दक्षिणा मंत्र : ॐ अद्य कृतैतत् शिवपूजन पूर्वक शिवरात्रि व्रत प्रतिष्ठार्थं एतावत् द्रव्य-मूल्यक-हिरण्यं अग्निदैवतं यथानाम गोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणां अहं ददे ॥
भोजन-वस्त्र-दक्षिणादि से ब्राह्मण को संतुष्ट करके विदा करे।
महाशिवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट
महाशिवरात्रि कब है – Mahashivratri kab hai
महाशिवरात्रि कब है 2025
- 26 फरवरी 2025 बुधवार
- त्रयोदशी समाप्त 11 बजकर 08 मिनट मध्याह्न में।
- चतुर्दशी आरंभ 11 बजकर 08 मिनट रात्रि से।
- प्रदोषव्यापिनी अनुपलब्ध।
- निशीथव्यापिनी उपलब्ध।