सनातन में षोडश संस्कारों की बात कही गयी है जिनमें से एक है नामकरण संस्कार। जब कोई बच्चा जन्म लेता है तो जन्माशौच समाप्त होने के बाद उस बच्चे का एक शुभ नाम रखा जाता है। किन्तु नाम रखने की भी शास्त्रों में विशेष विधि बतायी गयी है जिसे नामकरण संस्कार कहा जाता है। यद्यपि वर्त्तमान में 99.9% नामकरण वास्तविक संस्कार विधि की उपेक्षा करके मनमाने तरीके से ही किया जाता है तथापि जानकारी बढ़ाने हेतु यहां नामकरण संस्कार विधि दी जा रही है।
यह प्रश्न थोड़ा जटिल होने लगा है कि क्या नाम का प्रभाव होता है ?
- क्योंकि कई उदहारण हैं जिसमें नाम का बिल्कुल प्रभाव नहीं है अथवा नाम के विपरीत व्यवहार दिखता है; जैसे सीताराम येचुरी, जयराम रमेश आदि नाम में तो सीता, राम, रमेश, जय आदि शब्द हैं किन्तु नाम के अनुसार व्यवहार नहीं मिलता।
- जबकि सितारों की दुनियां में नाम का बहुत प्रभाव बताया जाता है, नाम में परिवर्तन भी किया जाता है।
- इसी कारण यह प्रश्न जटिल हो गया है।
- किन्तु यदि हम पौराणिक काल में देखें तो सर्वत्र नाम का प्रभाव दिखता है; जैसे गोकर्ण, धुंधली, धुंधकारी, ध्रुव, दुर्योधन, युधिष्ठिर, भीम इत्यादि।
नाम करण संस्कार
सभी सुर-असुर वर्ग अपनी प्रकृति के अनुसार ही बच्चों का नाम रखते थे ताकि नाम का प्रभाव भी प्राप्त हो।उन नामों का महत्व प्रभाव जानकर ही ऋषि-मुनियों ने मनुष्य के लिये भी एक विशेष विधि पूर्वक शुभ नाम रखने की शास्त्रीय व्यवस्था दिया जिसे नामकरण संस्कार कहा जाता है।
- शास्त्रोक्त विधि पूर्वक नियत समय पर नवजात का नामकरण करना नामकरण संस्कार कहलाता है।
- नाम करण करना एक विशेष विधि है जिसमें पूजा-हवन-ब्राह्मण भोजन-दान आदि कर्म किये जाते है।
बच्चे का नामकरण कैसे करें ?
बच्चे का नामकरण कैसे करें ? यदि आपके मन में यह प्रश्न उत्पन्न हो रहा है तो आपको इस आलेख में पूरी विधि प्राप्त होगी जिससे बच्चे का नामकरण करने में आपको सहायता मिलेगी।