नवग्रह शांति उपाय – navagrah : 1st

नवग्रह शांति उपाय – navagrah

नवग्रहों के एकाक्षरी बीज मंत्र, रत्न, उपरत्न और जड़ी

नीचे नवग्रहों के एकाक्षरी बीजमंत्र, रत्न, उपरत्न, जड़ी सारणी में दिया गया है। मोबाइल में सीधा देखने पर यदि समस्या हो तो तिरछा करके देखने पर सही हो जायेगा।

ग्रहएकाक्षरी बीज मंत्ररत्नउपरत्नजड़ी
सूर्यॐ घृणिः सूर्याय नमः।माणिक्यलालड़ीबिल्वमूल
चंद्रॐ सों सोमाय नमः।मोतीशंखमूंगाखिरनी मूल
मंगलॐ अं अंगारकाय नमः।मूंगागारनेटअनंतमूल
बुधॐ बुं बुधाय नमः।पन्नाओनेक्सविधारा की जड़
गुरुॐ बृं बृहस्पतये नमः।पुखराजपुखराजभृंगराज अथवा केला
शुक्रॐ शुं शुक्राय नमः।हीराटोपाजसिंहपुछ / सरपोंखा
शनिॐ शं शनैश्चराय नमः।नीलमनीलीबिच्छूबूटी
राहुॐ रां राहवे नमः।गोमेदलाजवर्तश्वेत चंदन की जड़
केतुॐ कें केतवे नमः।वैदूर्यलाजवर्तअश्वगंधामूल
ग्रहों के एकाक्षरी बीज मंत्र, रत्न, उपरत्न और जड़ी

ग्रह शांति हेतु दान सामग्री

आगे ग्रहों के शांति हेतु दान सामग्री दी गयी है। ग्रहों की सामग्री दान करने से भी ग्रहों के अशुभ फल का निवारण होता है और शुभ फल की वृद्धि होती है।

  1. सूर्य : गोधूम, गुड़, ताम्र, सुवर्ण, केशर, सवत्सा गौ।
  2. चन्द्र : श्वेत तण्डुल, श्वेत वस्त्र, दधि, शंख, चीनी, चांदी, कर्पूर, घृत, वंशपात्र।
  3. मङ्गल : भूमि, मसूर दाल, गुड़, ताम्र, रक्त वस्त्र, सुवर्ण, केसर, कस्तूरी।
  4. बुध : कांस्य,हरित वस्त्र, शंख, कर्पूर, फल, गजदन्त, घृत, स्वर्ण, केसर, षडरस भोजन।
  5. गुरु : पीत धान्य, पीत वस्त्र, स्वर्ण, घृत, पीत फल, अश्व, मधु, पुस्तक, छत्र, दधि, भूमि, हरिद्रा।
  6. शुक्र : श्वेत तण्डुल, श्वेत चित्र वस्त्र, घृत, स्वर्ण, चांदी, स्फटिक, दधि, शंख, गोधूम, शक्कर, श्वेताश्व, भूमि, श्वेत गौ।
  7. शनि : काला उड़द, तेल, कृष्ण तिल, कृष्ण वस्त्र, कम्बल, उपानह, कस्तूरी, स्वर्ण, लौह, कुल्थी, महिषी, छत्र, कृष्णगौ, कज्जल।
  8. राहु : काला उड़द, अश्व, तिल, नील वस्त्र, तिल तेल, सप्तधान्य, लौह, स्वर्ण, कम्बल, शस्त्र, छाग।
  9. केतु : काला उड़द, कम्बल, कस्तूरी, तिल तेल, कृष्ण वस्त्र, स्वर्ण, लौह, छाग, खड्ग, कस्तूरी, उपानह, कृष्ण तिल।

नवग्रह शांति विशेष

नवग्रह पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। नवग्रह पूजा में ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं :

नवग्रह शांति उपाय - navagrah
नवग्रह शांति उपाय – navagrah

नवग्रहों के नैवेद्य : गुडौदनं रवैर्दद्यात्सोमाय घृतपायसम् । अंगारकाय संयाव बुधाय क्षीर यष्टिकम् ॥ दध्योदनं च जीवाय शुक्राय च गुडौदनम् । शनैश्चराय कृशरं मज्जामासं च राहवे । चित्रौदनं च केतुभ्यः सर्व भक्ष्यैरथार्चयेत् ॥

नवग्रह शांति मंत्र

ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरान्तकारी भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च।
गुरुश्च शुक्रः शनि राहु केतव: सर्वे ग्रहाः शांतिकरा भवन्तु ॥

नवग्रह प्रार्थना मंत्र

एकश्लोकीनवग्रहस्तोत्रम्

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