शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

शिव ताण्डव स्तोत्र रावण रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। नित्य शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस आलेख में अर्थ सहित शिव ताण्डव स्तोत्र दिया गया है। शिव ताण्डव स्तोत्र के दो प्रकार पाये जाते हैं –

  1. पहले शिव ताण्डव स्तोत्र में 17 श्लोक मिलते हैं तो वहीं
  2. दूसरे शिवताण्डव स्तोत्र में 15 श्लोक ही मिलते हैं। दूसरे प्रकार में श्लोक 14 और 15 नहीं मिलता है।

शिव तांडव स्तोत्र की सबसे बड़ी विशेषता : शिव तांडव स्तोत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब भगवान शिव रावण पर कुपित थे और रावण पीड़ित था तब इसी स्तोत्र से भगवान शिव प्रसन्न हुये थे और रावण के कष्ट का निवारण हुआ था।

इसी तरह सामान्य मनुष्य भी व्यावहारिक जीवन में जाने-अनजाने कई प्रकार के ऐसे कर्म करता है जिससे दैवीय दण्ड का पात्र बन जाता है। उस स्थिति में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।

शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
शिव तांडव स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित
शिव तांडव स्तोत्र अर्थ सहित
शिव तांडव स्तोत्र अर्थ सहित

शिव तांडव स्तोत्र अर्थ

  • रावण विद्वान भी था, शक्तिशाली भी और बहुत अंहकारी भी था।
  • शिव का भक्त होते हुये भी एक बार उसने कैलास पर्वत को उठा लिया था।
  • भगवान शंकर ने फिर कैलाश को दबा दिया जिससे रावण का हाथ दब गया।
  • उसी समय पीड़ित रावण ने भगवान शिव का स्तवन किया, क्षमा प्रार्थना किया, जो शिव तांडव स्तोत्र नाम से प्रसिद्ध हुआ।

शिव तांडव स्तोत्र के लाभ

यद्यपि तांडव नृत्य भगवान शिव के उग्र प्रलयकालिक रूप का परिचायक है जब भगवान शिव सृष्टि का संहार करते हैं। लेकिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ से प्रसन्न होकर भगवान शिव दुःख, दरिद्रता, आधि, व्याधि, बंधन आदि का विनाश करते हैं। शिव तांडव स्त्रोत्र के पाठ से होने वाले लाभों को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है :

  • शिव ताण्डव स्तोत्र से कल्याण की प्राप्ति होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र के पाठ से ईश्वर प्रेम की वृद्धि होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करने से आनंद की प्राप्ति होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करने से भक्ति की वृद्धि होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से श्री की वृद्धि होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से सभी प्रकार के सुख-सम्पदाओं की वृद्धि होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से विशेष सुख की प्राप्ति होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से अमङ्गल का निवारण और मङ्गल की प्राप्ति होती है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से सांसारिक दुःखों का नाश होता है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से भ्रमों का निवारण होता है।
  • शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने से स्थिर लक्ष्मी, रथ, गज, अश्व आदि सम्पत्तियों की प्राप्ति होती है।
शिव तांडव स्तोत्र के लाभ
शिव तांडव स्तोत्र के लाभ

शिव तांडव स्त्रोत कब पढ़ना चाहिए

शिव ताण्डव स्तोत्र पाठ करने का समय स्तोत्र के ही अंतिम श्लोक में बताया गया है :

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥

  • पूजावसानसमये : का तात्पर्य है पूजा के अंतिम चरण में। भगवान शंकर की नित्य पूजा करनी चाहिये और पूजा के अंत में शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करना चाहिये।
  • शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे : भगवान शम्भू की पूजा का मुख्य समय प्रदोष काल बताया गया है।
  • प्रदोषकाल : रात्रि का प्रथम प्रहर प्रदोषकाल कहा जाता है। कुछ अन्य वचनों में ढाई मुहूर्त भी कहा गया है।
  • इस प्रकार स्पष्ट होता है कि प्रदोषकाल में भगवान शिव की पूजा करके फिर शिव ताण्डव स्तोत्र का पाठ करना चाहिये।

शिव तांडव स्तोत्र कैसे याद करें

शिव ताण्डव स्तोत्र इस प्रकार याद करने पर सरलता से याद किया जा सकता है :

  • सर्वप्रथम कई बार पाठ का अभ्यास करके शुद्ध पाठ करना सीखना चाहिये।
  • फिर प्रतिदिन एक-एक श्लोक करके याद करना चाहिये।
  • इस प्रकार याद करने से कुछ ही दिनों में शिवताण्डव स्तोत्र याद किया जा सकता है।

शिव तांडव स्तोत्र सरल भाषा में PDF

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शिव तांडव नृत्य

ताण्डव नृत्य भगवान शिव का एक प्रचंड और विनाशकारी नृत्य है जो सृष्टि के विनाश का बोधक है। ताण्डव नृत्य भगवान शिव की शक्ति, क्रोध और मुख्य कार्य का प्रदर्शन है। यह नृत्य कल्याणकारी शिव के उस विनाशकारी रूप का प्रतिनिधित्व करता है, जब सृष्टि के अंतकाल में वो ब्रह्मांड को नष्ट करने के लिए तैयार होते हैं। भगवान शिव का तांडव नृत्य इस ब्रह्माण्ड की अनित्यता या नश्वरता का बोधक है। इससे यह ज्ञात होता है कि संसार में कुछ भी ऐसा नहीं जो नश्वर न हो।

ताण्डव नृत्य का वर्णन:

ताण्डव नृत्य में भगवान शिव के उग्र रूप को नृत्य करते हुए चित्रित किया जाता है। वे अपने हाथों में त्रिशूल, डमरू, अग्नि और खड्ग धारण करते हैं। तांडव नृत्य करते समय भगवान शिव अपने शरीर को उग्र गति से घुमाते हैं और वेगपूर्वक अपने पैरों से जमीन को पीटते हैं। वे अपने बालों को बिखेर देते हैं और अपनी आँखों को लाल कर लेते हैं तथा तृतीय नेत्र खोल देते हैं जिससे प्रलयंकारी अग्निज्वाला निकलती है।

ताण्डव नृत्य के प्रकार :

ताण्डव नृत्य के कई प्रकार बताये गये हैं –

  • उग्र ताण्डव : यह ताण्डव नृत्य का सबसे प्रचंड और विनाशकारी रूप है।
  • सौम्या ताण्डव : यह ताण्डव नृत्य का एक शांत और सुंदर रूप है।
  • रौद्र ताण्डव : यह ताण्डव नृत्य का एक क्रोधित और भयानक रूप है।
  • आनंद ताण्डव : यह ताण्डव नृत्य का एक प्रसन्नता और उत्सव का रूप है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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