यहां पढ़ें मां मातंगी कवच स्तोत्र संस्कृत में – matangi kavach

यहां पढ़ें मां मातंगी कवच स्तोत्र संस्कृत में - matangi kavach

माता मातंगी का वर्ण श्याम है और चंद्रमा को मस्तक पर धारण किए हुए हैं। यह वाग्देवी हैं इनकी चार भुजाएं हैं, मां मातंगी वैदिकों की सरस्वती है। पलास और मल्लिका पुष्पों से युक्त बेलपत्रों की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर आकर्षण और स्तंभन शक्ति का विकास होता है। देवी मातंगी को उच्छिष्टचांडालिनी या महापिशाचिनी भी कहा जाता है। मातंगी के विभिन्न प्रकार के भेद हैं उच्छिष्टमातंगी, राजमांतगी, सुमुखी, वैश्यमातंगी, कर्णमातंगी आदि। यहां रुद्रयामलोक्त मातंगी कवच सहित दो अन्य मातंगी कवच (matangi kavach) भी संस्कृत में दिया गया है।

मातंगी कवच ~ 2

रुद्रयामलोक्त मातंगी कवच ~ 3

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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