यहां पढ़िये तारा सहस्रनाम स्तोत्र - Tara Sahasranam stotram

यहां पढ़िये तारा सहस्रनाम स्तोत्र – Tara Sahasranam stotram

यहां पढ़िये तारा सहस्रनाम स्तोत्र – Tara Sahasranam stotram : दशमहाविद्या में से एक माँ तारा विशेष महत्वपूर्ण हैं और यदि सहस्रनाम की बात करें तो अनेकों सहस्रनाम देखने को मिलता है जिसमे से एक विशेष महत्वपूर्ण सहस्रनाम श्रीबृहन्नीलतन्त्र में भैरवभैरवी के संवाद रूप में मिलता है। यहां श्रीबृहन्नीलतन्त्रोक्त तारा सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है जो विशेष महत्वपूर्ण है।

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यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name

यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name

यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name : विभिन्न देवी देवताओं के स्तोत्रों में अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का अपना विशेष महत्व होता है। महाविद्या तारा के भी कई अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र हैं जिनमें से तीन तारा स्तोत्र यहां दिया गया है। प्रथम तारा अष्टोत्तर शतनाम स्वर्णमालातन्त्र और मुण्डमालातन्त्रोक्त है, द्वितीय बृहन्नीलतन्त्रोक्त और तृतीय श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त है। तीनों तारा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र - Nil saraswati stotram

यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र – Nil saraswati stotram

यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र – Nil saraswati stotram : दशमहाविद्याओं में माता तारा भी एक प्रमुख महाविद्या हैं। सभी देवताओं की भांति इनका भी एक अष्टक स्तोत्र है जिसे ताराष्टक के साथ-साथ नीलसरस्वती स्तोत्र भी कहते हैं। यहां श्री नीलसरस्वती स्तोत्र (Nil saraswati stotram) अर्थात ताराष्टक स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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पढिये माँ तारा स्तोत्र ताराकर्पूरस्तोत्रम् - maa tara stotra

पढिये माँ तारा स्तोत्र ताराकर्पूरस्तोत्रम् – maa tara stotra

पढिये माँ तारा स्तोत्र ताराकर्पूरस्तोत्रम् – maa tara stotra : माता तारा के स्तोत्रों में एक प्रमुख स्तोत्र है ताराकर्पूरस्तोत्र जो श्रीफेत्कारीतन्त्र से लिया गया है। यहां फेत्कारी तंत्रोक्त ताराकर्पूरस्तोत्र संस्कृत में दिया गया है जो माँ तारा की उपासना में विशेष लाभकारी है।

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माँ तारा ध्यान मंत्र संस्कृत में पढ़ें - Tara dhyan mantra

माँ तारा ध्यान मंत्र संस्कृत में पढ़ें – Tara dhyan mantra

माँ तारा ध्यान मंत्र संस्कृत में पढ़ें – Tara dhyan mantra : दशमहाविद्या में से द्वितीय क्रम पर माता तारा आती हैं। माता काली की उपासना के लिये भी ध्यान मंत्रों की आवश्यकता होती है इसलिये यहां माता तारा के ध्यान का तीन मंत्र दिये गये हैं। इसके साथ ही सात्विक, राजसी और तामसी तारा ध्यान मंत्र (Tara dhyan mantra) भी दिये गये हैं।

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यहां पढ़ें काली खड्गमाला स्तोत्र संस्कृत में - kali khadgamala stotram

यहां पढ़ें काली खड्गमाला स्तोत्र संस्कृत में – kali khadgamala stotram

यहां पढ़ें काली खड्गमाला स्तोत्र संस्कृत में – kali khadgamala stotram : माता काली के उपासकों हेतु खड्गमाला स्तोत्र का अतिविशेष महत्व है। देवताभेद से खड्गमाला स्तोत्र भी अनेक प्रकार के होते हैं और काली खड्गमाला स्तोत्र की बात करें तो यह भी दक्षिण काली, भद्रकाली आदि भेद से भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। यहां श्रीरुद्रयामलोक्त दक्षिणकालिका खड्गमाला स्तोत्र (kali khadgamala stotram) दिया गया है।

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यहां पढ़ें श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र संस्कृत में - kali pratyangira stotra

यहां पढ़ें कालिका अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – kalika ashtak

यहां पढ़ें कालिका अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – kalika ashtak : सभी देवी देवताओं का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र होता है अष्टकं। अष्टक स्तोत्र का तात्पर्य आठ स्तुति करना है, अष्टप्रणाम करना है। यहां शंकराचार्य कृत कालिकाष्टक दिया गया है।

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यहां पढ़ें श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र संस्कृत में - kali pratyangira stotra

यहां पढ़ें श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र संस्कृत में – kali pratyangira stotra

यहां पढ़ें श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र संस्कृत में – kali pratyangira stotra : अंगिरा ऋषि कृत काली का विशेष स्तोत्र जो प्रत्येक अंगों की रक्षा करती है, श्री काली प्रत्यङ्गिरा स्तोत्र कहलाती है। काली प्रत्यंगिरा को ही काली प्रत्यंगिरा कवच भी कहा जाता है। श्री काली प्रत्यंगिरा विशेष सुरक्षा प्रदान करती है, सभी प्रकार के शत्रु बाधाओं का निवारण करती है। आगे श्री काली प्रत्यंगिरा स्तोत्र (kali pratyangira stotra) दिया गया है।

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यहां पढ़ें काली कीलक स्तोत्र संस्कृत में - kali keelak stotra

यहां पढ़ें काली कीलक स्तोत्र संस्कृत में – kali keelak stotra

यहां पढ़ें काली कीलक स्तोत्र संस्कृत में – kali keelak stotra : मंत्र की तुलना में कवच शतगुणित अधिक फलकारक कहा गया है और कवच से भी शतगुणित कीलक में बताया गया है। उत्कीलन प्रयोग में कीलक का विशेष प्रयोग भी कहा गया है किन्तु गुरु का निर्देश प्राप्त होना आवश्यक होता है।

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यहां पढ़ें काली अर्गला स्तोत्र संस्कृत में - kali argala stotram

यहां पढ़ें काली अर्गला स्तोत्र संस्कृत में – kali argala stotram

यहां पढ़ें काली अर्गला स्तोत्र संस्कृत में – kali argala stotram : यहां कालिका अर्गला स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है। इसमें दक्षिणकालिका का भी उल्लेख है अतः इसे दक्षिण कालिका अर्गला स्तोत्र भी कहा जाता है। यह अर्गला स्तोत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है और इस स्तोत्र में रूप-सौंदर्य, सौभाग्य, सिद्धि, शत्रुवश, विद्या-वाणी आदि अनेकों कामनायें भी की गयी है।

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