केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) – Ketu Ashtottara Shatanamavali

केतु के 108 नाम (केतु अष्टोत्तर शतनामावली) - Ketu Ashtottara Shatanamavali

राहु की तरह ही केतु भी छाया ग्रह ही है, अर्थात सूर्य और चंद्र पथ का दूसरा संक्रमण बिंदु है और इसकी भी पिण्डात्मक उपस्थिति नहीं है। जिस दैत्य का सिर कटा हुआ धर राहु है वही सिर केतु है। अष्टोत्तरशतनाम का एक विशेष लाभ ज्योतिषियों के लिये भी होता है कि इसके द्वारा फलादेश संबंधी ज्ञान भी मिलता है। केतु की एक विशेषता यह है कि यह शुभ करना हो या अशुभ अचानक करता है अर्थात केतु के प्रभाव अचानक परिवर्तनकारी होते हैं।

केतु ग्रह के 108 नाम वाले स्तोत्र को केतु अष्टोत्तरशत नामावली कहा जाता है। स्तोत्रों में देवताओं के 108 नाम अर्थात अष्टोत्तरशत नामों का भी विशेष होता है। यहां केतु का अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र दिया गया है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

आगे केतु अष्टोत्तर शत नामावली को पृथक-पृथक करके दिया गया है आगे पढ़ें :

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