सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra

भविष्यपुराणोक्त आदित्य अष्टोत्तर

किसी भी देवता के 108 नामों का पाठ करने के लिये उसे स्तोत्र रूप में ग्रहण किया जाता है और यदि पूजा आदि करनी हो तो सभी नामों का पृथक-पृथक करके उपयोग किया जाता है। सूर्य के भविष्यपुराणोक्त अष्टोत्तरशतनाम को आगे पृथक-पृथक करके प्रणव व नमः प्रयोग पूर्वक दिया गया है। अष्टोत्तर शतनाम से पूजा करने के लिये इसी प्रकार प्रयोग किया जाता है।

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र | surya 108 naam stotra
सूर्य अष्टोत्तर शतनाम

सूर्य अष्टोत्तर शतनाम हवन प्रयोग

हवन करने के लिये किसी भी मंत्र में नमः शब्द के स्थान पर स्वाहा का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि ऊपर दिये गये नमः प्रयोग पूर्वक आदित्य अष्टोत्तर शतनाम में ही नमः के स्थान पर स्वाहा प्रयोग करके हवन किया जा सकता है तथापि अधिक सुविधा हेतु नीचे स्वाहा पद का प्रयोग करते हुये सूर्य अष्टोत्तर शतनाम दिया गया है जिससे हवन करना अधिक सुगम होता है :

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