दशमहाविद्या में से द्वितीय क्रम पर माता तारा आती हैं। माता काली की उपासना के लिये भी ध्यान मंत्रों की आवश्यकता होती है इसलिये यहां माता तारा के ध्यान का तीन मंत्र दिये गये हैं। इसके साथ ही सात्विक, राजसी और तामसी तारा ध्यान मंत्र (Tara dhyan mantra) भी दिये गये हैं।
माँ तारा ध्यान मंत्र संस्कृत में पढ़ें – Tara dhyan mantra
ध्यान ~ 1
विश्वव्यापकवारिमध्यविलसच्छ्वेताम्बुजन्मस्थिताम् ।
कर्त्रीखड्गकपालनीलनलिनैः राजत्करां नीलभाम् ॥
काञ्चीकुण्डलहारकङ्कणलसत्केयूरमञ्जीरकाम् ।
आप्तैर्नागवरैर्विभूषिततनुं चारक्तनेत्रत्रयाम् ॥
पिङ्गैकाग्रजटां लसत्सुरसनां दंष्ट्राकरालाननाम् ।
हस्तैश्चापि वरं कटौ विदधतीं श्वेतास्थिपट्टालिकाम् ॥
अक्षेभ्येण विराजमानशिरसं स्मेराननाम्भोरुहाम् ।
तारं शावहृदासनां दृढकुचामम्बां त्रिलोक्यां भजे ॥
ध्यान ~ 2
श्वेताम्बरां शारदचन्द्रकान्तिं सद्भूषणां चन्द्रकलावतंसाम् ।
कर्त्रीकपालान्वितपादपद्मां तारां त्रिनेत्रां प्रभजेऽखिलर्द्ध्यै ॥
ध्यान ~ 3
प्रत्यालीढपदार्पिताङ्घ्रिशवहृद्घोराट्टहासा परा ।
खड्गेन्दीवरकर्त्रिखर्परभुजा हुङ्कारबीजोद्भवा ॥
खर्वा नीलविशालपिङ्गलजटाजूटैकनागैर्युता ।
जाड्यं न्यस्य कपालके त्रिजगतां हन्त्युग्रतारा स्वयम् ॥
॥ सात्त्विकमूर्तिध्यानम् ॥
श्वेताम्बराढ्यां हंसस्थां मुक्ताभरणभूषिताम् ।
चतुर्वक्त्रामष्टभुजैर्दधानां कुण्डिकाम्बुजे ॥
वराभये पाशशक्ती अक्षस्रक्पुष्पमालिके ।
शब्दपाथोनिधेर्मध्ये तारां स्थितिकरीं भजे ॥
॥ राजसमूर्तिध्यानम् ॥
रक्ताम्बरां रक्तसिंहासनस्थां हेमभूषिताम् ।
एकवक्त्रां वेदसङ्ख्यैर्भुजैः सम्बिभ्रतीं क्रमात् ॥
अक्षमालां पानपात्रमभयं वरमुत्तमम् ।
श्वेतद्वीपस्थितां वन्दे तारां स्थितिपरायणाम् ॥
॥ तामसमूर्तिध्यानम् ॥
कृष्णाम्बराढ्यां नौसंस्थामस्थ्याभरणभूषिताम् ।
नववक्त्रां भुजैरष्टादशभिर्दधतीं वरम् ॥
अभयं परशुं दर्वीं खड्गं पाशुपतं हलम् ।
भिन्दिं शूलं च मुसलं कर्त्रीं शक्तिं त्रिशीर्षकम् ॥
संहारास्त्रं वज्रपाशौ खट्वाङ्गं गदया सह ।
रक्ताम्भोधौ स्थितां वन्दे देवीं संहारकारिणीम् ॥
॥ इति श्रीताराध्यानम् ॥
जिनकी 10 भुजाये है और क्रमशः उन भुजाओ में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, त्रिशूल, भुशुण्डी, मुण्ड और शङ्ख धारण किया है।
ऐसी तीन नेत्रों वाली त्रिनेत्रा सभी अङ्गो में आभूषणों से विभूषित नीलमणि जैसी आभावाली दशमुखों वाली और दश पैरों वाली महाकाली माता; जिनकी स्तुति मधु कैटभ का वध करने के लिए विष्णु के सो जाने पर साक्षात् ब्रह्मदेव (ब्रह्माजी) ने की थी; का मैं ध्यान करता (या करती) हूँ।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।