उल्काभ्रमण का शास्त्रीय प्रमाण क्या है? पितृ विसर्जन कब करें? पितृ विसर्जन कैसे किया जाता है?

उल्काभ्रमण का शास्त्रीय प्रमाण

दीपावली को लक्ष्मी पूजा तो होता ही है। लक्ष्मी का वास, दरिद्रा का निष्कासन अलग क्रिया है लेकिन व्यवहार में यह भी देखा जाता है कि उल्का भ्रमण करने से पूर्व जब द्वार पर उल्का जलाया जाता है तो उसे तीन बार देहली के भीतर-बाहर भी किया जाता है और उसी समय “लक्ष्मी घर दरिद्रा बाहर” बोलते हुए लक्ष्मी वास और दरिद्रा निष्कासन समझ लिया जाता है।

प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या यह शास्त्रसम्मत है? और इसका स्पष्ट उत्तर है नहीं। यह शास्त्र सम्मत विधि नहीं है।

उल्काभ्रमण की क्रिया का लक्ष्मी और दरिद्रा से कोई सम्बन्ध ही नहीं है। उल्काभ्रमण का सम्बन्ध पितरों के प्रस्थान से है।

उल्काभ्रमण का शास्त्रीय प्रमाण

पितर विदाई कैसे की जाती है? पितृ विसर्जन कब करना चाहिए?

     पितृपक्ष में यमलोक से पितृगण पृथ्वी पर अन्न-जलादि की आकांक्षा से आते हैं; और पितरों के आने से ही महालय सिद्ध होता है। पितृपक्ष में तर्पण-श्राद्ध आदि के द्वारा पितरों को अन्न-जलादि प्रदान किया जाता है। यदि पितर गण यमलोक से आते हैं तो वापस भी जाना ही चाहिए। कार्तिक अमावास्या को पितर वापस यमलोक जाते हैं।

यममार्ग अंधकारमय होता है इसलिए पितरों को मार्ग में प्रकाश की प्राप्ति कामना से उल्काभ्रमण किया जाता है और यही शास्त्रसम्मत है। पितरों को मार्गप्रदर्शन हेतु उल्काभ्रमण विधि और मंत्र का शास्त्रों में उल्लेख किया गया है।

प्रमाण :-

और उल्काभ्रमण द्वारा लक्ष्मी वास दरिद्रा निष्कासन की अशास्त्रीय क्रिया भी पितरों के लिए कष्टकर होता है। क्योंकि यदि उनका मार्गदर्शन (प्रकाशमय) न किया गया तो अंधकारमय मार्ग पितरों के लिए दुःखदायि होगा। अतः जो शास्त्रसम्मत है विवेकी जनों को वही ग्रहण करना चाहिए। यदि अज्ञानतावश पूर्व में त्रुटि हुई भी हो तो ज्ञात होने के बाद सुधार अवश्य करना चाहिए, अज्ञानवश हुई त्रुटि क्षम्य हो सकती है पर ज्ञात अवस्था में त्रुटि/असावधानी/शास्त्राज्ञा का उल्लंघन दुःख का कारण बनता है।

उल्का भ्रमण
उल्का भ्रमण

यहां समंत्र विधि दी गई है, इसे लिखकर अथवा स्क्रीन शॉट लेकर अथवा बुकमार्क करके सहेज लें ताकि उचित समय पर ढूंढने में समस्या न हो। बेवसाइट का लिंक भी सहेज कर रख लें:- www.karmkandvidhi.in

घर से बाहर जाकर दक्षिणाभिमुख बैठकर द्वार पर पहले से जलते दीये में उल्का के जलाये ।

  • उल्का जलाने या ग्रहण करने का मंत्र है :- ॐ शस्त्राशस्त्रहतानां च भूतानां भूतदर्शयोः । उज्ज्वलज्योतिषा देहं निर्दहे व्योमवह्निना ॥ तत्पश्चात् बाहर निकल कर दक्षिण आकाश की ओर दिखाते हुए अप्रदक्षिण क्रम से घुमाते हुए यह मंत्र पढे;
  • पितृ विसर्जन मंत्र :- ॐ अग्निदग्धाश्च ये जीवाः येऽप्यदग्धाः कुले मम । उज्ज्वलज्योतिषा दग्धास्ते यान्तु परमाङ्गतिम् तत्पश्चात् उल्काहस्त ही इस मंत्र से पितरों का विसर्जन करे;

उल्काभ्रमण क्या है? पितरों को कैसे विदा करते हैं? सम्पूर्ण

पितृ विसर्जन का मतलब क्या होता है या पितरों की विदाई कैसे की जाती है?

शास्त्रों में उल्का भ्रमण और पितरों के विसर्जन की विधि इसी प्रकार से बताई गयी है।

कार्तिक अमावास्या को ही उल्काभ्रमण पूर्वक मार्गदर्शन करते हुये पितरों का विसर्जन किया जाता है जिसकी विधि ऊपर दी गयी है।

  धर्मप्रेमी आस्थावान इस विधि व मंत्र को सहेज कर रख लें।

F & Q :

प्रश्न : उल्काभ्रमण कब करते हैं ?
उत्तर : उल्काभ्रमण दीपावली को सायंकाल में करते हैं ।

प्रश्न : उल्काभ्रमण क्यों करते हैं ?
उत्तर : पितृपक्ष में आये पितरों को कार्तिक अमावास्या (दीपावली) के दिन विदा करते हैं । यममार्ग अंधकारमय होता है इसलिए प्रकाशित करने के लिये उल्काभ्रमण करते हैं।

प्रश्न : उल्का को जलाने की क्या विधि है?
उत्तर : घर के बाहर द्वार पर पहले से जलते दीये में दक्षिणाभिमुख बैठकर जलाया जाता है।

प्रश्न : उल्काभ्रमण कैसे करते हैं?
उत्तर : जलते हुए उल्का को लेकर घर से कुछ दूर जाकर, ऐसी जगह जहां दक्षिण दिशा में आकाश दिखे और आग लगने वाली वस्तुएं न हो; वहां दक्षिण दिशा में ऊपर की ओर अप्रदक्षिण क्रम (एंटीक्लॉक) से घुमाना चाहिये।

प्रश्न : पितरों का विसर्जन कैसे करते हैं?
उत्तर : उल्काभ्रमण करने के बाद उल्का को दक्षिण की ओर त्याग कर पितरों का विसर्जन करते हैं।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply