संपूर्ण कर्मकांड विधि

संपूर्ण कर्मकांड विधि

वामन स्तुति संस्कृत में - vamana stuti

वामन स्तुति संस्कृत में – vamana stuti

वामन स्तुति संस्कृत में – vamana stuti : भक्तप्रह्लाद के पुत्र विरोचन थे और उनका पुत्र राजा बलि था अर्थात भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे राजा बलि। और इस प्रकार यदि विचार करें तो राजा बलि के पितामह हेतु भी भगवान विष्णु ने नृसिंहावतार लिया था और पुनः उसी कुल में राजा बलि के लिये भी वामन अवतार धारण किया था।

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अग्निपुराणोक्त परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र - parshuram sahasranama

अग्निपुराणोक्त परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र – parshuram sahasranama

अग्निपुराणोक्त परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र – parshuram sahasranama : कलश पर परशुराम का स्थापन करके घृतादि द्रव्यों से स्नान-पूजन करके परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र पाठ करने पर सहस्र यज्ञ का फल प्राप्त होता है। अयन-विषुव आदि अवसरों पर पाठ करके स्तोत्र लिखे और वैष्णव को पुस्तक प्रदान करे तो शत्रुरहित हो जाता है।

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परशुराम अष्टोतर शतनाम स्तोत्र - parashuram ashtottar shatnam stotra

पकारादि श्री परशुराम अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Pakaradi shri Parashuram ashtottarashatanama stotra

पकारादि श्री परशुराम अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – Pakaradi shri Parashuram ashtottarashatanama stotra : भगवान श्री परशुराम का पकारादि अष्टोत्तर शतनाम हरियाणा प्रदेश के जयन्तपुरी मण्डलान्तर्गत नगूराङ्ग्राम वासी श्री कृष्णचन्द्र शास्त्री द्वारा रचित है। भगवान श्री परशुराम की अराधना में यदि आपको उनके अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र की आवश्यकता हो तो इस स्तोत्र का प्रयोग किया जा सकता है।

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परशुराम अष्टकं - parashuram ashtakam

परशुराम अष्टकं – parashuram ashtakam

परशुराम अष्टकं – parashuram ashtakam : अष्टक स्तोत्र विशेष महत्वपूर्ण होता है यह तो हम जानते हैं किन्तु भगवान परशुराम के अष्टक स्तोत्रों को ढूंढना चाहें तो बड़ी कठिनता होती है और इसमें यहां आपको सहयोग मिलता है। यहां श्रीपरशुरामाष्टक और श्रीमद्दिव्यपरशुरामाष्टकं दोनों परशुराम अष्टकं (parashuram ashtakam) संस्कृत में दिया गया है।

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परशुराम स्तोत्र - parashuram stotra

परशुराम स्तोत्र – parashuram stotra

परशुराम स्तोत्र – parashuram stotra : क्या आपको भगवान परशुराम के स्तोत्र ढूंढ रहे हैं यदि हां तो यहां आपको दो परशुराम स्तोत्र मिलेगा। हमें भगवान परशुराम की अराधना में इनके स्तोत्र की भी आवश्यकता होती है और यहां दो परशुराम स्तोत्र (parashuram stotra) दिया गया है।

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परशुराम स्तुति - parashuram stuti

परशुराम स्तुति – parashuram stuti

परशुराम स्तुति – parashuram stuti : भगवान राम के दशावतारों में से एक अवतार हैं परशुराम। इनका भी वास्तविक नाम राम ही था किन्तु परशु धारण करते थे और ब्राह्मण वर्ण होने से परशु धारण करना एक विशेषता सिद्ध हुई और इस कारण इनका नाम परशुराम है।

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नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र - narasimha sahasranama stotram

नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र – narasimha sahasranama stotram

नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र – narasimha sahasranama stotram : नृसिंह पुराण में नरसिंह भगवान का सहस्रनाम स्तोत्र मिलता है जिसमें २२८ श्लोक हैं और यदि पूर्व पीठिका का भी योग कर दें तो १४ श्लोक और बढ़ जायेंगे। इस प्रकार नृसिंह सहस्रनाम स्तोत्र में श्लोकों की संख्या सर्वाधिक है। नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र ब्रह्मा जी द्वारा बताया गया है।

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नरसिंह अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र - narasimha ashtottara shatanama stotram

नरसिंह अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – narasimha ashtottara shatanama stotram

नरसिंह अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र – narasimha ashtottara shatanama stotram : भगवान नरसिंह अवतार का मुख्य प्रयोजन भक्त प्रह्लाद की रक्षा करना ही नहीं था अपितु भक्त की महिमा को भी सिद्ध करना था। यहां दो महत्वपूर्ण नरसिंह शतनाम स्तोत्र (narsingh shatnam stotra) दिया गया है।

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नरसिंह कवच स्तोत्र - narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra

नरसिंह कवच स्तोत्र – narsingh kavach stotra : दशावतारों में नरसिंह अवतार का विशेष महत्व इसलिये है क्योंकि इसमें नरसिंह भगवान भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हैं और इसके लिये हिरण्यकशिपु को मिले सभी वरदानों की तोड़ निकालकर एक ऐसा स्वरूप धारण करते हैं जो अद्वितीय है और वो है नर व सिंह का संयुक्त स्वरूप। इस प्रकार रक्षा की भावना हो तो भगवान नृसिंह से रक्षा कामना विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।

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नरसिंह स्तवराज - narsingh stawraj

नरसिंह स्तवराज – narsingh stawraj

नरसिंह स्तवराज – narsingh stawraj : नरसिंह स्तवराज का शत्रुनाशक प्रयोग में विशेष महत्वपूर्ण स्थान है। भगवान नरसिंह ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा किया था इसलिये संकट हो, शत्रु बाधा हो उस स्थिति में इसका पाठ बताई गयी विधि के अनुसार करना लाभकारी होता है ऐसा इसके फलश्रुति में वर्णित है। किन्तु यह विशेष प्रयोग है और बिना गुरु का दिशा-निर्देश प्राप्त किये यह प्रयोग नहीं करना चाहिये।

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