रविवार व्रत कब से शुरू करे

रविवार व्रत के नियम क्या-क्या हैं ?

रविवार व्रत के नियम : रविवार व्रत भगवान सूर्य को समर्पित होता है। इसे वृश्चिक राशि में सूर्य के होने पर जो शुक्ल पक्ष होता है, उसमें शुरू किया जाता है और मेष राशि में सूर्य के होने पर शुक्ल पक्ष में समाप्त किया जाता है। इसे करने से सूर्य प्रसन्न होते हैं जिससे आरोग्य लाभ होता है, नेत्र पीड़ा से मुक्ति मिलती है, हृदय रोग निवारित होते है और सरकारी नौकरी, पदोन्नति आदि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, दरिद्रता का नाश भी होता है। यदि व्रत का आरंभ और समापन सही समय पर नहीं किया जाता, तो इसके कुछ नकरात्मक परिणाम भी हो सकते हैं।

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देवोत्थान-एकादशी-पूजा-विधि-एवं-मंत्र

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra

देवोत्थान एकादशी पूजा विधि एवं मंत्र – Dev uthani ekadashi mantra : पहले पूजा की तैयारी कर लें। चौक पूरकर (रंगोली सजाकर) एक चौकी या पीढिया पर चारों कोने में दीप जलाकर बीच में ताम्रपात्र में शालिग्राम (अथवा विष्णु प्रतिमा हो या पान पर सुपारी और तिलपुंज बनाकर) स्थापित करें।

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एकादशी व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा – संक्षेप में 26 एकादशी की व्रत कथा

एकादशी व्रत कथा : सभी एकादशी के अलग-अलग नाम कहे गए हैं अरु सभी एकादशी में भगवान विष्णु की पूजा भी विभिन्न नामों से की जाती है। सभी एकादशी के फल भी अलग-अलग बताये गए हैं जो नामानुसार परिलक्षित भी होते हैं। यहाँ सभी एकादशी के कथा संक्षेप में प्रस्तुत की जा रही है। यथाशीघ्र प्रत्येक एकादशी की अलग-अलग पूर्ण कथा भी प्रस्तुत की जाएगी।

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26 एकादशी के नाम

एकादशी के नाम क्या-क्या हैं ? क्या आप 26 एकादशी के नाम जानते हैं ?

एकादशी के नाम क्या-क्या हैं ? क्या आप 26 एकादशी के नाम जानते हैं ? : एकादशी व्रत को विभिन्न पुराणों और ग्रंथों में महत्वपूर्ण माना जाता है, यह भगवान विष्णु के प्रति समर्पित होता है। यह व्रत विविध कामनाओं की पूर्ति, स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति सुनिश्चित करता है। सभी 12 महीनों में 26 एकादशी व्रत होते हैं, जिनहें उत्पन्ना, मोक्षदा, सफला, पुत्रदा और अन्य नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत का आरंभ मार्गशीर्ष माह की उत्पन्ना एकादशी से किया जाता है, लेकिन अगर किसी व्यक्ति में प्रबल उत्साह हो, तो वह किसी अन्य माह में शुरू कर सकता है।

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कोहरा दान

कोहरा क्या है ? अक्षय नवमी के दिन क्या करना चाहिए ?

अक्षय नवमी का महत्व सनातन धर्म में अत्यंत उच्च है। इस साल 2023 में यह पर्व 21 नवम्बर मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन कूष्माण्ड (कोहरा) दान करने का विशेष महत्व होता है, जिससे पुण्य प्राप्त किया जाता है। कूष्माण्ड दान से पापों की शमन होती है और पुत्र, पौत्र, धन सम्पत्ती की वृद्धि होती है। इसमें दान की विधि और मंत्र भी सम्पूर्ण रूप से निर्धारित किए गए हैं, जिन्हें जानकर व्यक्ति अधिक से अधिक पुण्य प्राप्त कर सकता है।

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दण्ड क्या है ? दण्ड का उद्देश्य क्या है?

दण्ड क्या है : “दण्ड” शब्द कई अर्थों में प्रयोग होता है: एक डंडा, चोट, सजा, एक समय मापन की इकाई, व्यायाम, और एक प्रणाम. राजनीतिक उपायों में भी इसकी पहचान दण्ड के रूप में की जाती है। इसका अन्य विशेष अर्थ छठ महापर्व में पाया जाता है, जब व्रती सूर्य को प्रणाम कर दण्ड देते हैं, जिसका उद्देश्य किसी कामना की पूर्ति होती है। यहाँ पर “दण्ड” शब्द का अर्थ पूजा घाट तक दण्डवत प्रणाम कर जाना होता है। इसे सूर्य को दण्ड देना कहा जाता है।

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छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनायें

छठ व्रत की पूजा विधि

2023 में छठ व्रत की पूजा विधि में विशेष नियम के अनुसार, सप्तमी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी और अगले दिन, 20/11/2023 सोमवार को, सूर्योदय से पहले ही अष्टमी आरंभ हो जाएगी। इसलिए, सूर्योदय से पहले ही प्रातः कालीन अर्घ्य दिया जाएगा। यह निर्देश सभी पंचांगों में स्पष्ट रूप से दिया गया है। इस वर्ष की छठ पूजा की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, आपके जीवन में सुख-शांति-समृद्धि की कामना की जाती है।

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अक्षय नवमी कब है

अक्षय नवमी कब है – akshaya navami

अक्षय नवमी कब है : शास्त्र पुराणों में अक्षय नवमी का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। अक्षय नवमी करने वाला अक्षय पुण्य का भागी बनकर सुख का भाजन बनता है, उसे यम यातना नहीं मिलती अर्थात नरक नहीं जाना पड़ता है।

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कर्मकांड के प्रकार

कर्मकांड के प्रकार

कर्मकांड के प्रकार : कर्मकांड के विभाजन की चर्चा करते समय हमें ‘कर्म (actions)’ के प्रकार को समझना नहीं चाहिए। यह भी स्पष्ट है कि वेदों के आधार पर कर्मकांड के प्रकार का विभाजन करने का विचार भी प्रासंगिक नहीं होता है। कर्मकांड को वास्तव में केवल दो प्रकार से विभाजित किया जा सकता है: 1) अब्राह्मण कर्मकांड, जिसे स्वयं किया जा सकता है और इसमें ब्राह्मण की आवश्यकता नहीं होती। 2) सब्रह्माण कर्मकांड, जिसे बिना ब्राह्मण के सम्पादन नहीं किया जा सकता है। अत: कर्मकांड की प्रकारों का निर्धारण कर्मों के आधार पर होता है, लेकिन वे कर्म के प्रकार से भिन्न हो

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26 एकादशी के नाम

कर्मकांड में क्या क्या आता है ?

कर्मकांड में क्या क्या आता है : यह पोस्ट जीवन में कर्मकाण्ड की आवश्यकता व्याख्या करती है। ऐसा दावा किया गया है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक और सोने से जागने तक, हमारे सभी कर्म कर्मकाण्ड के अंतर्गत आते हैं। कर्मकाण्ड में प्रत्येक कर्म की विधियाँ, विहित, निषिद्ध इत्यादि संकलित होती हैं जो धार्मिक ग्रंथों में मिलती हैं। सुख, दुःख या शांति की प्राप्ति के लिए हमें अनुचित कर्म करने पड़ते हैं, जिसकी विधि शास्त्रों में वर्णित है। ऐसा भी माना गया है कि कर्म का त्याग करना संभव नहीं है, हालाँकि कर्म फल की इच्छा का त्याग किया जा सकता है।

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