यहां पढ़िये तारा कवच स्तोत्र – Tara Kavach stotram

यहां पढ़िये तारा कवच स्तोत्र - Tara Kavach stotram

तारा कवच अथवा उग्रतारा कवच रुद्रयामल तंत्र में वर्णित है और इसके साथ ही एक अन्य तारा प्रत्यङ्गिरा कवच स्तोत्र भी है जिसे उग्रतारा प्रत्यङ्गिरा कवच, नीलसरस्वती कवच आदि नामों से भी जाना जाता है। यहां रुद्रयामोक्त तारा कवच और तारा प्रत्यंगिरा कवच दोनों दिया गया है।

जिनकी 10 भुजाये है और क्रमशः उन भुजाओ में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, त्रिशूल, भुशुण्डी, मुण्ड और शङ्ख धारण किया है।

ऐसी तीन नेत्रों वाली त्रिनेत्रा सभी अङ्गो में आभूषणों से विभूषित नीलमणि जैसी आभावाली दशमुखों वाली और दश पैरों वाली महाकाली माता; जिनकी स्तुति मधु कैटभ का वध करने के लिए विष्णु के सो जाने पर साक्षात् ब्रह्मदेव (ब्रह्माजी) ने की थी; का मैं ध्यान करता (या करती) हूँ।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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