यहां पढ़िये तकारादि तारा सहस्रनाम स्तोत्र – Tara Sahasranam stotram 2

यहां पढ़िये तारा सहस्रनाम स्तोत्र - Tara Sahasranam stotram

दशमहाविद्या में से एक माँ तारा विशेष महत्वपूर्ण हैं और यदि सहस्रनाम की बात करें तो अनेकों सहस्रनाम देखने को मिलता है जिसमे से एक विशेष महत्वपूर्ण सहस्रनाम श्रीबृहन्नीलतन्त्र में भैरवभैरवी के संवाद रूप में मिलता है जो परम गुप्त है और इस कारण संपूर्ण कर्मकांड विधि उसे प्रकाशित नहीं कर सकता है। अक्षोभ्यसंहितायोक्त तारा सहस्रनाम पूर्व में प्रकाशित किया जा चुका है और यहां ब्रह्मयामलोक्त तकारादि तारा सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है जो विशेष महत्वपूर्ण है। माँ तारा स्तोत्र – Maa Tara Stotra

जिनकी 10 भुजाये है और क्रमशः उन भुजाओ में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, त्रिशूल, भुशुण्डी, मुण्ड और शङ्ख धारण किया है।

ऐसी तीन नेत्रों वाली त्रिनेत्रा सभी अङ्गो में आभूषणों से विभूषित नीलमणि जैसी आभावाली दशमुखों वाली और दश पैरों वाली महाकाली माता; जिनकी स्तुति मधु कैटभ का वध करने के लिए विष्णु के सो जाने पर साक्षात् ब्रह्मदेव (ब्रह्माजी) ने की थी; का मैं ध्यान करता (या करती) हूँ।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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