यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name

यहां पढ़ें तारा स्तोत्र अष्टोत्तर शतनाम : tara stotra 108 Name

विभिन्न देवी देवताओं के स्तोत्रों में अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का अपना विशेष महत्व होता है। महाविद्या तारा के भी कई अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र हैं जिनमें से तीन तारा स्तोत्र (tara stotra) यहां दिया गया है। प्रथम तारा अष्टोत्तर शतनाम स्वर्णमालातन्त्र और मुण्डमालातन्त्रोक्त है, द्वितीय बृहन्नीलतन्त्रोक्त और तृतीय श्रीकालीविलासतन्त्रोक्त है। तीनों तारा अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

यहां पढ़िये ताराष्टक अथवा श्री नीलसरस्वती स्तोत्र - Nil saraswati stotram

जिनकी 10 भुजाये है और क्रमशः उन भुजाओ में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, त्रिशूल, भुशुण्डी, मुण्ड और शङ्ख धारण किया है।

ऐसी तीन नेत्रों वाली त्रिनेत्रा सभी अङ्गो में आभूषणों से विभूषित नीलमणि जैसी आभावाली दशमुखों वाली और दश पैरों वाली महाकाली माता; जिनकी स्तुति मधु कैटभ का वध करने के लिए विष्णु के सो जाने पर साक्षात् ब्रह्मदेव (ब्रह्माजी) ने की थी; का मैं ध्यान करता (या करती) हूँ।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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